तुम्हारी श्रेया
तुम्हारी श्रेया
कौन है ये लड़का ? मेरा कितना पीछा करता है? क्या इसको कोई काम धंधा नही है? जब देखो तब मेरा पीछा करता है।मेरे दोस्तों ने भी मुझे पूछना शुरु कर दिया, श्रेया तुम इसको जानती हो क्या?कॉलेज शुरु होने के दिन से जब देखो तब तुम को घूरता रहता है ।तुम उसको पूछती क्यूँ नही ? ऐसे बात बात पर पीछा करना सही नही है ।।तुम बदनाम हो जाओगी ।रात भर में श्सो नही पायी की कैसे उस बंदे से बात करु।लोकल बस में भी मेरे पीछे बैठ जाता है,लाइब्रेरी में भी मेरे सामने बैठ के मुझे बिना पलकें झपकाए देखता रहता है।मैं फ़र्स्ट ईयर की लड़की थी और वो सैकेण्ड ईयर का था। सीनियर्स के साथ तो बात करने में भी डर लगता था ।एक दिन वो होस्टल के सामने सुबह सुबह आ गया मुझे मिलने को।जैसे ही मुझे खबर मिली उपर की खिड़की से झाँका ,तो वो नीचे एक पेड़ के पास खड़े हो के मेरा इंतज़ार कर रहा था ।मेरा तो दिमाग ही काम करना बंद कर दिया।लड़को से मैं ज्यादा बात नही करती थी इसलिए ,ऊपर से उस लड़के का नाम भी मुझे पता नही था।गहरी सांस ली और घबराहट के साथ नीचे आयी।मुझे देखते ही उस लड़के का बॉडी लैंग्वेज ठीक हो गया।मैं भी थोड़ा धीरे से पूछी की क्या हुआ भैया ,मुझे क्यूँ याद किये ? कुछ काम था?वो जोर से हसने लगा।बोला तुम कितनी बार मुझे राखी बांधी हो जो भैया बुला रही हो।मेँ तुम्हारा कोई भाई नही हूं।तुम मुझे बहुत अच्छी लगी ।तुम्हें देखने के बाद मेँ अपने आपको तुम से मिलने से रोक नही पाया । कुछ तो कशिश है तुममे, जो मुझे तुम्हारी ओर आकर्षित करता है।दो दिन की मोहलत देता हूँ मुझे सोच समझ के जवाब देना की तुम मुझे चाहती हो की नही ।ये बोल के वो उधर से चला गया ।मेँ सोच ही रही थी की ये प्यार कोई आलू प्याज नही है जो दो दिन में हो जायेगा।और तो और ये है कौन जो अपना नाम भी नही बताया।बड़ा अजीब लड़का है । मै अपने कमरे में वापस चली गयी ,लेकिन उसकी बातें मुझे बहुत परेशान कर रही थीं ।अब तो वो मुझे देख के मुस्कुराना भी चालू कर दिया।अचानक दो दिन बाद लाइब्रेरी में मेरे सामने आ के बैठ गया ।और मुझे पूछने लगा श्रेया क्या सोची तुम हमारे रिश्ते के बारे में ? अब तुम्हारे बग़ैर रहा नही जाता । मुझे बहुत गुस्सा आया और भड़क उठी की एक तो तुम मेरे बारे में, मेरे खानदान के बारे में पीएचडी कर के रखे हो और एक मै हूँ जिसे तुम्हारा नाम तक नही पता ।और जनाब, ये प्यार कोई गुड्डे गुड़ियों का खेल नही जो तुरंत हो जायेगा।मेरी बातों को बीच से काट के वो बोला,देखिये मैडम मेरा नाम अभिषेक है । मै सैकेण्ड ईयर कंप्यूटर साइंस का छात्र हूँ।और रही मेरे परिवार की जानकारी तो वो तुम्हारा जबाब सुनने के बाद दूँगा ।मै बोली ये क्या बत्तमीजी हो रही है सबके सामने, अपने झूठे लगाव और शरीर की भूख को प्यार का नाम मत दो।सबके सामने उसका पूरा तमाशा बन गया था । फ़र्स्ट सेमेस्टर एग्ज़ाम आ रहे थे ।पढ़ाई में मन भी नही लग रहा था ।अभिषेक ने मुझे फ़ॉलो करना भी बंद कर दिया था।उडती उड़ती खबर मिली की उसके प्यार का बहुत अपमान हो गया था मुझसे इसलिए बहुत दुखी हुआ वो । ।अकेले एक दिन लाइब्रेरी से आ रही थी,दोनो आमने सामने हो गये। अभिषेक मेरा हाथ पकड़ कर एक किनारे खींच के ले गया और मेरे चेहरे के एकदम करीब आ के बोला इतना सस्ता बना दिया तुमने मेरे प्यार को।ज़िंदगी भर मेरे जैसा प्यार करने वाला तुम को नही मिलेगा । तरसोगी तुम मेरे प्यार के लिए ।मेरे आँखों से आसूँ बह रहे थे।उस दिन के बाद उनकी यादें मुझे बहुत परेशान करने लगी थीं ।पढ़ाई में ध्यान नही दे पा रही थी ।एग्ज़ाम ख़त्म भी हो गया और रिजल्ट के दिन पता चला की मेरे बहुत कम नम्बर आये थे। बहुत दुख लगा।अब ठान लिया की इस चीज का असर पढाई में नही आना चाहिये ।फाइनल ईयर स्टूडेंट्स की फेयर-वेल की डेट नज़दीक आ रही थी ।मुझे उसमे गाना गाना था।मेरी आवाज़ बहुत अच्छी थी ।उस दिन इतने लोगों में मुझे बस अभी का चेहरा दिख रहा था।हमेशा की तरह में अपना पसंदीदा गाना "तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नही "गाना गा रही थी।पहले जब भी गाती थी बहुत खुश हो के गाती थी,लेकिन आज ये गाना मेरे आँसुओ के साथ निकल रहे थे।गाने की समाप्ती पर तालियों की आवाज़ से हाल गूंज रहा था ।मैं और प्रोग्राम में बैठ नही पायी,सीधे हॉस्टल के लिये चल दी, लेकिन रास्ते में अभी मिल गया और बोला श्रेया तुम ये गाना बहुत अच्छा गाई हो ।ये मेरा पसंदीदा गाना है। मैं चुपचाप वहां से निकल गयी।कुछ दिन बाद मेरे दोस्तों से ये खबर मिली की आज कल अभी के कमरे से यही गाना सुनने को मिलता है।लगता है फिल्म इंडस्ट्री में और कोई गाना है ही नही ।अब तो ऐसा हो गया था की जब भी कोई प्रोग्राम होता था वही गाने की मांग होती थी मुझसे ।सारे कॉलेज को अभी की दीवानगी के बारे में पता चल गया था।कॉलेज के आख़िरी के दो साल थे ।अभी का फाइनल ईयर है।मेरे दोस्त मुझे बोलते थे की अब तो खुश हो जाओ श्रेया अभी से तेरा पीछा छुटेगा।तुझे पूरे कॉलेज में बदनाम करके रखा है।मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि खुशियां मनाऊ या दुखी होऊँ ? मैंने सबसे बात करना बंद कर दिया था ।मेरे रिजल्ट भी अच्छे आ रहे थे।अब तो अभी के कॉलेज का आख़िरी दिन भी आ गया ।अभी ने एक दिन मुझे एक खत भेजा जिसमें उसने मुझे गाना गाने के लिए बोला था और वो भी हमेशा की तरह "तेरे बिना ज़िंदगी से कोई सिकवा तो नही" वाला ।मन बहुत भारी भारी सा था,जब सबके सामने मंच पे गयी तालियों की आवाज़ से मुझे सब उत्साहित करने लगे । उस दिन मेरे गाने में अभी के लिए मेरा सारा प्यार दिख रहा था । गाना खत्म हुआ तो देखा कि अभी उधर नही थे।उन्हे ढूंढने बाहर निकली ।थोडे आगे जैसे ही अभी मुझे दिखाई दिये तो वो मुझे देख के एक छोटे से बच्चे की तरह रोने लगे।मेरे पास आ के मुझे सीने से कसके लगा लिये ।मैं उनको बोली अभी तुम्हारी आगे की ज़िंदगी के लिए बहुत सारी शुभकामनाएँ ।वो बोले श्रेया क्या तुम मेरी कभी भी नही बन पाओगी ? मै बोली की मेरे घर में मेरी एक छोटी बहन है और मेरे माता पिता को ये सब कतई मंजूर नही होगा।ठीक है श्रेया तुम अभी इधर से चली जाओ नही तो मै अपना होश खो दूँगा ।कभी भी मेरी ज़रूरत पडे तो एक आवाज़ दे के देखना , मैं तुम्हारे पास आ जाउंगा। मेरा आख़िरी साल बहुत लम्बा और अकेले पन से गुजरा।जैसे ही कॉलेज खत्म हुआ, घर में शादी की बात शुरु हो गई ।थोड़ी सांवली रंग की थी तो लड़के पसंद नही कर रहे थे।सब को तो गोरी पत्नी चाहिये होता है।मेरा अभी था जो मेरे पे जान छिडकता था।पापा ने एक आई ए स ऑफिसर के साथ अच्छे दहेज़ दे कर मेरा सौदा कर दिया । इन डेढ़ सालों में कभी भी अभी से बात नही हुई।शादी को 2 दिन थे।पता नही अभी की बहुत याद आयी।उसको फ़ोन लगाया और उस की आवाज़ सुनते ही में रो पड़ी ।इतने में वो खुद बोल पड़ा श्रेया कैसी हो? मैं बोली अभी क्या तुम मुझे थोडे समय के लिए मिल सकते हो।वो दिल्ली से बंगलौर मुझे मिलने पहुंच गये ।एक होटल में ठहरा थे मेरा अभी । मै घर से कुछ बहाना बना के होटल पहुंच गयी।उन्हे देखते ही उनकी बाहों में लिपट के जोर से रोने लगी और बोलती रही की तुमने मुझे श्राप क्यूँ दिया अभी, कि मेरे प्यार को तरसोगी और सारी ज़िंदगी मुझे प्यार नसीब नही होगा । देखो ना कल मेरी शादी है और मैं तो तुमको दिल दे बैठी हूँ । किसी और की होने से पहले तुम्हारी होना चाहती हूँ । उस समय दोनो बे-बस और एक दूसरे के प्रति समर्पित थे।बस दोनो ऐसे प्रेम में खो गये की वो ही कुछ समय में सातों जनम का साथ जी लिये । इस बीच 8 साल गुज़र गये । अभी को बंगलोर के एक स्कूल में एनुअल डे के प्रोग्राम में मुख्यअतिथी का निमंत्रण आया था । वो तो बहुत व्यस्त चल रहा था । एक के बाद एक प्रोग्राम होते गये।अभी प्रोग्राम की समाप्ती का इंतज़ार कर रहा था की किसी छोटी सी बच्ची की सुरीली सी आवाज़ ने मन मोह लिया । अरे! ये क्या कोई जाना पहचाना गाना और इतनी जानी पहचानी आवाज़ !कौन है ये बच्ची ?? तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई सीकवा तो नही गाना! नही ज़रूर कोई बात है।अभी से रहा नही गया।माइक हाथ में ले के पूछ ही लिया बेटा तुम्हारा नाम क्या है?कहाँ से सीखा ये गाना? मैं श्वेता हूँ अंकल । ये गाना मेरी माँ गाती थी हमेशा । कहाँ है तुम्हारी माँ? मेरी माँ और पापा की पिछ्ले साल ही कार दुर्घटना में मौत हो गयी ।आख़िरी समय में वो मुझे एक खत दी थी और बोली थी की तेरा ये गाना सुन के अगर कोई तेरी माँ के बारे में पूछे तो उनको ये खत दे देना। अभी ने उस बच्ची के घर जा कर व्व खत लिया । ।जैसे ही उसने वो खत खोला तो उसमे ये लिखा था की अभी श्वेता हमारी बेटी है।ये बात बस तुम जानते हो और मैं ।मुझे ये भी मालूम है की ये गाना आज भी हम दोनो को जोड़ के रखा है और हमेशा रखेगा । अपनी बच्ची का ध्यान रखना । तुम्हारी श्रेया। खत पढ़ने के बाद जब अभी उस प्यारी सी बच्ची की तरफ देखा तो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे श्रेया मुस्कुरा के बोल रही हो "लो अब मैं आ गयी तुम्हारे पास, हमेशा के लिए "।