ये लम्हा थम जाये यहाँ
ये लम्हा थम जाये यहाँ
ये लम्हा थम जाये यहाँ
कभी मुस्कुराकर, कभी गीत गा कर
कभी लम्हों को मन में सजाकर
आरज़ू बस है यह कहे
कल हम रहें न रहें
दिल ने बस इतना है कहा
ये लम्हा थम जाये यहाँ
दोस्तों की शरारतें हैं
हंस के हम पल गुज़ारते हैं
फिक्र किसको है आने वाले कल की
हम अपने पल खुद संवारते हैं
किसको है खबर, होगा कल क्या
हम दोस्ती पे सारी ज़िन्दगी अब वारते हैं
ख्वाहिश है इस दिल की इतनी
ये लम्हा थम जाये यहाँ
जब बैठते है, हम साथ में
बांटते हैं, हर राज़ साथ में
सिर्फ दोस्त जानता, किससे हमको इश्क है
किसके लिए, हम बहाते अश्क हैं
है उसे खबर, हमारे इश्क, प्यार की
वो ही जनता, हालत दिल- ए- बेक़रार की
वो ठिठोलियाँ, मिलेंगी फिर कहाँ
संग बैठ के हँसेंगे फिर कहाँ
हसरत है इस दिल की इतनी
ये लम्हा थम जाये यहाँ
रात भर यूँ संग जागना
एक चाय पे संग घूँट मारना
वो परीक्षाओं की तैयारी
वो बारिशों से अपनी यारी
लाइब्ररी में गप मारना
वो एक साथ कक्षा को पट मारना
शोर मचाना, संग जोर से
कह दो, इस रात, इस भोर से
यह दास्तान हमसे है
हर वक़्त का ज़र्रा हमसे है
हमसे ही इसका वजूद है
फिर क्यू इसे इतना गुरूर है
है हमारी ये इंतेज़ा
ये लम्हा थम जाये यहाँ