समय के अनुसार
समय के अनुसार
गुप्ता जी अपने मित्र के प्रश्न की प्रतीक्षा कर रहे थे। वह जानते थे कि एक अर्से के बाद मिले उनके प्रिय मित्र उनके जीवन के नए बदलाव के विषय में जानने को उत्सुक थे। इसी कारण उन्होंने भोजन के बाद टहलने जाने का प्रस्ताव रखा था। गुप्ता जी की प्रतीक्षा जल्दी ही समाप्त हो गई।
“आपने विवाह कब किया ?” उनके मित्र ने पूछा।
“छह महीने हो गए।”
“क्या यह आवश्यक था। मेरा मतलब है इस उम्र में…”
“आवश्यक ना होता तो ना करता। रही उम्र की बात तो इस आयु में ही किसी के साथ की सबसे अधिक ज़रूरत होती है।”
“हाँ लेकिन हमारे समाज में यह बात इतनी सहज नहीं है।”
गुप्ता जी कुछ सोच कर बोले।
“समाज की मान्यताएं समय और आवश्यकता के हिसाब से बदलती हैं। आज जिस प्रकार समाज बदला है पारिवारिक ढांचा भी बदल गया है। ऐसे में कब तक मैं अपने एकाकीपन की शिकायत अपने बच्चों से करता।”
उनका उत्तर सुन कर उनके मित्र सोच में पड़ गए। वह भी एकाकीपन का शिकार थे।