Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

पत्थर का दूब

पत्थर का दूब

2 mins
421


पलंग पर बैठी सौम्या विकास के बालों को सहला रही थी..और विकास सौम्या के उभरे पेट को बात्सल्य भरी नजरों से देख रहा था।

बहुत उथल-पुथल के बाद, वीरान पड़े दोनों के जीवन में फिर से मधुमास छा गया, आपस के स्पर्श में गर्माहट की पुनरावृत्ति होने लगी।

शादी के सात साल बाद घर में रौनक आया ,सौम्या गर्भ से थी, दोनों बहुत खुश दिख रहे थे | सौम्या ने लजा कर आहिस्ता से पूछा ,

“विकास तुम क्या अंदाज लगाते हो ? बेटा होगा या बेटी ?”

“रुको... बताता हूँ , नहीं.. पहले तुम्हीं को बताना पड़ेगा, लेडीज फर्स्ट ''.

सौम्या की सहजता और सम्पूर्णता उसके चेहरे से साफ़ झलक रही थी । हमलोग तो निराश ही हो गये थे ! माँ भगवती की कृपा और विज्ञान का चमत्कार जो हमारे घर-आंगन में किलकारी गूंजेगी । हमारे लिए यह पत्थर पर का दूब ही है।

मुझे तो बस...एक हँसता-खेलता, नन्हा-मुन्ना चाहिए । जिसके पदार्पण से आँगन महक उठे। दिन भर मैं उसकी मासूमियत पर फ़िदा होती रहूँ,और तुम्हे भी उसके साथ उतना ही सकून मिले|

हाँ.. विकास, अब तुम्हारी बारी|”

“सौम्या, बेटा हो या बेटी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ! सब अपने भाग्य से आते हैं,हम तो केवल माध्यम हैं। "

सच तो यही है कि दोनों के बिना सृष्टि अधूरी है ,बताओ, बेटा को जन्म देने वाली एक बेटी ही होती है न??”


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama