बूंदें
बूंदें
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बादलों से उतरती बूंदें
समा जाती है
पृथ्वी की आगोश में
देने
नवांकुरों को जन्म
करने पोषित
बदलने एक मौसम पृथ्वी पर
करने हरे पत्तों को गीला
लबालब भरे सागर को छूने
देने नदियों को गति
कुओं में ठहर जाने बन बूँद
प्रेमी के भीतर उड़ेलने थोड़ा सा और राग
प्रेयसी में भरने हया और नज़ाकत
मिट्टी को देने सौंधी महक का संदेश
पहाड़ों में फिसलते-उतरने नीचे तक
पंछी के कंठ को करने तरोताजा
फूलों में भरने महक
उतरती हैं बूंदें बादल से
चली आती है पृथ्वी पर
दे जाती है सब कुछ
बिना कुछ लिए।