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Mahesh Dube

Action

2.5  

Mahesh Dube

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खूनी दरिंदा भाग 1

खूनी दरिंदा भाग 1

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राजनिवास खन्ना ने स्पिरिट लैंप पर रखे कांच के बर्तन में उबल रहे द्रव पर एक निगाह डाली और परखनली को माथे की ऊंचाई तक लाकर ध्यान पूर्वक देखने लगे जिसमें लाल और नीले रंग के दो द्रव पदार्थ आपस में घुल मिल रहे थे। राजनिवास खन्ना लगभग पैंसठ वर्ष के स्वस्थ और सुन्दर व्यक्ति थे जिनके क्लीन शेव्ड चेहरे पर बुद्धिमत्ता की छाप थी। राज खन्ना एक वैज्ञानिक दल के मुखिया थे जो आजकल एक गोपनीय प्रयोग में लगे हुए थे। बहुत सालों तक इनकी थ्योरी सरकारी महकमे को पसंद नहीं आई थी तो ये हाथ पर हाथ धरे सरकारी नौकरी करते रहे पर अब देश में नए दल की सरकार आ गई थी जो सिन्हा साहब की थ्योरी से इत्तफाक रखती थी और अब  इन्हें सत्तारूढ़ दल का पूरा समर्थन प्राप्त था और इन्हें अच्छा खासा धन भी मुहैय्या करवा दिया गया था तो खन्ना साहब रात दिन परिश्रम करके अपने प्रयोगों को किया करते थे और सफलता के करीब थे।

आज खन्ना साहब के सारे सहयोगी काम खत्म करके चले गए थे पर खन्ना साहब प्रयोगशाला में रुके गए। उन्हें किसी नतीजे का इंतजार था जिसके लिए वे कल तक प्रतीक्षा नहीं कर सकते थे। किसी काम में जुट जाने पर उन्हें भूख-प्यास थकान का कोई आभास नहीं होता था। खन्ना साहब ने परखनली के द्रवों को अच्छी तरह मिलाया और सावधानीपूर्वक उसे स्पिरिट लैंप पर बीकर में उबल रहे द्रव में उलट दिया। एक तीव्र रासायनिक क्रिया आरम्भ हुई पहले बीकर में से खूब तीव्र लपट निकली फिर गाढ़े हरे रंग का धुआं वातावरण में फैलने लगा। खन्ना साहब ने संतुष्टिपूर्ण ढंग से सिर हिलाया फिर पास बैठी कुर्सी पर बैठ गए और इन्तजार करने लगे। 

कुछ देर बाद उन्होंने उठ कर बीकर में से थोड़ा द्रव शीशे की नली द्वारा बाहर निकाला  और एक शीशे की बरनी में बन्द चूहे के पास गए और ऊपर मौजूद उस छेद द्वारा उस चूहे पर छिड़क दिया जो उसके सांस लेने के लिए बनाया गया था। इस क्रिया की भीषण प्रतिक्रिया हुई। चूहा इतनी जोर से उछला कि शीशे की बरनी उलट गई और बेलकर टेबल के नीचे आ गिरी और चूर-चूर हो गई।  चूहा थोड़ी देर छटपटाता रहा फिर उसमें अविश्वसनीय परिवर्तन शुरू हुए। अचानक वह फूलने लगा और देखते ही देखते उसका आकार लगभग दुगना हो गया। उसके पैने दांत खूब बाहर तक निकल आये उसकी मुख मुद्रा भयानक भेड़िये जैसी हो गई और वो दांत किटकिटाता हुआ खन्ना की ओर बढ़ा। खन्ना साहब डर से गए और चौंक कर कुछ कदम पीछे हो गए। एक पल को उसने दांत किटकिटाते हुए स्थिति का जायजा लिया फिर भयानक रूप से गुर्राते हुए सिन्हा पर छलांग लगा दी और इसके पहले कि वे बच पाते वो उनके कन्धे पर बैठा  उनके कान को कुतर चुका था। पीड़ा से बिलबिलाते हुए खन्ना ने अपने हाथ से उसे दूर झटक दिया तो वो जाकर एक विशाल बरनी से टकराया और उसे तोड़ता हुआ भूमि पर गिर पड़ा। बरनी में जमा पदार्थ भूमि पर बिखरा और चूहा उसमें बुरी तरह सन गया। फिर जो हुआ उसने तो खन्ना की रूह कंपा कर रख दी।

 

 कहानी अभी जारी है पढ़िए भाग 2....


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