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Indar Ramchandani

Comedy Drama Romance

3.9  

Indar Ramchandani

Comedy Drama Romance

वो पांचवी सालगिरह ( भाग २)

वो पांचवी सालगिरह ( भाग २)

11 mins
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तैयार होकर मैं घर से ऑफ़िस के लिए निकला तो सही लेकिन रास्ते भर सिर्फ एक ही चिंता सताए जा रही थी कि इतने कम समय में मधु को ऐसा क्या गिफ्ट लेके दूँ, जिससे वो कम से कम सालगिरह के दिन तो मुझे तलाक ना दे।

ऑफ़िस पहुँचते ही मेरी नज़र समीर पर पड़ी जो बड़े ही ध्यान से लैपटॉप पर काम कर रहा था। उसके काम में इतना मग्न होने का एक ही मतलब होता है कि वो ज़रूर ‘सोलीटर’ गेम खेल रहा होगा। जैसे ही मैंने उसका नाम पुकारा, उसने सकपकाते हुए झट से अपने की-बोर्ड पे ALT+TAB दबाया और आउटलुक ओपन कर दिया।

“अबे घबरा मत, मैं हूँ!" मैने बताया।

वो तुरंत ही तनाव मुक्त हुआ और फिर से लॅपटॉप पर ‘सोलीटर’ खेलते हुए बोला, “घबरा कौन रहा है? मैं किसी से डरता हूँ क्या? एक तो Saturday को भी ऑफ़िस में गधे की तरह हाज़री देनी पड़ती है, उपर से सारी सोशियल नेटवर्किंग वेबसाइट्स भी ब्लॉक की हुई है। जब कुछ काम ही नहीं है करने को, तो बंदा ‘सोलीटर’ नहीं खेलेगा तो क्या झख मारेगा?

“शांत क्रांतिकारी समीर, शांत। तुझे काम चाहिए तो मैं देता हूँ ना! फ़र्ज़ कर कि अगर तू एक लड़की होता तो अपनी शादी की पाँचवी सालगिरह पे अपने पति से किस तोहफ़े की उम्मीद करता?”

“भाई मेरे, ना मैं लड़की हूँ, ना मेरी शादी हुई है और ना ही मुझे किसी से कोई गिफ्ट की उम्मीद है।” समीर ने कंधे उचकाते हुए कहा।

“लेकिन फिर भी कोई आइडिया तो दे। मुझे मधु को कल पाँचवी सालगिरह का तोहफ़ा देना है, लेकिन क्या दूं, समझ नहीं आ रहा।”

“Bro, तू ग़लत दरवाज़े पे कुण्डी खड़का रहा है। ऐसे आदमी के पास जा, जो इस मामले में एक्सपर्ट हो।" समीर ने चुपके से शेट्टी की तरफ इशारा किया, जो बगल वाली cubicle में अख़बार पढ़ रह था। 

शेट्टी की उम्र करीब चालीस के करीब होगी और वो काफी गंभीर प्रवृति का व्यक्ति था जिसने हमारी कंपनी में तीन महीने पहले ही एंट्री मारी थी। वो साउथ से आया था और हम सबसे बहुत कम ही बात करता था। हम में से कोई भी उसके बारे में कुछ ज़्यादा नहीं जानता था सिवाए इस अफ़वाह के, कि कुछ महीने पहले ही उसका अपनी पत्नी से तलाक हुआ था। शायद इसलिए समीर के कहने पर मैने उसकी तरफ देखा तो सही, लेकिन उससे कोई भी मशवरा पाने की मेरी कोई प्रबल इच्छा नहीं थी।

शायद उसने मेरी इस मंशा को भाँप लिया था इसलिए वो अपनी सीट से उठा और अख़बार को इतनी कोमलता से फोल्ड किया जैसे कल फिर यही अख़बार पड़ेगा। मेरी तरफ कदम बढ़ाते हुए उसने अपने अपने साउथ-इंडियन लहज़े में कहा, “मैं तुम लोगों का बात सुना। मैं तेरे को एक मिलियन-डॉलर सजेशन देगा! कोई गिफ्ट देने का ज़रूरत नहीं है। तुम पाँच साल से तुम्हारा बीवी के साथ है, वो ही तुम्हारा बीवी के लिए सबसे बड़ा गिफ्ट है। अदरवाइज़ पाँच साल में तो गवर्नमेंट बदल जाती है।”

“और हमारी राघव सरकार तो अब तक मज़बूती से टिकी हुई है!”समीर हंसते हुए बोला।

मुझे अब समझ में आ रहा था की शेट्टी के तलाक का क्या कारण रहा होगा। अभिमान और अक्खड़पन की अतिशयोक्ति की वजह से उसकी पत्नी ने उसकी सरकार भंग की होगी। मैने समीर को गुस्से से देखा और शेट्टी को हाथ जोड़ते हुए कहा, “शेट्टी सर, मैने आपका क्या बिगाड़ा है जो आप मुझे ऐसे आत्मघाती सुझाव दे रहे हो। कोई ढंग का सजेशन दो ना!”

“अरे तुम साला नया जनरेशन का सब लोग डरपोक है, सारी ज़िंदगी बीवी के पल्लू में ही रहेगा।” शेट्टी झल्लाया और ऑफीस से बाहर निकलने से पहले बोला, “अगर गिफ्ट देना ही है तो सुनो। बीवियों को दो चीज़ें सबसे ज़्यादा attract करती हैं - कपड़े और गहने। दोनो में से कुछ भी लेके दे दो “ वैसे जाते जाते बात सही कह गया ये।” समीर ने कहा “क्या खाक सही कहा।” मैं अपनी सीट पे बैठते हुए बोला, “मधु की पसंद के कपड़े मुझे समझ नहीं आते। उसके पिछले बर्थडे पर एक ड्रेस गिफ्ट की थी, उसने ड्रेस को देख के ऐसे रियेक्ट किया जैसे मैंने उसके हाथ में मरा हुआ चूहा रख दिया हो।”

“तो उसे सोने के 'earrings’ लेके दे दे। खुश हो जाएगी।”

“वो गोल्ड नहीं पहनती। सोने से उसे एलर्जी है, स्किन में ‘rashes’ हो जाते हैं।” मैने समझाया।

“खुशकिस्मत है यार तू। ऐसे एलर्जी भगवान हर पत्नी को दे।” समीर हंसा।

मैं इधर टेंशन में हूँ, और तू मेरी फिरकी ले रहा है। अभी थोड़ी देर में 'हरी सासाई इंडस्ट्रीस के टेंडर की फाइल माँगेगा। मैं वो फाइल पूरी करूँ या बीवी के गिफ्ट के लिए बाहर दुकानों पे भटकू? आखिरी दिन पे तो ऑनलाइन शॉपिंग भी नहीं कर सकता।”

तभी मेरे फ़ोन की रिंग बजी और मधु का फोटो स्क्रीन पे फ़्लैश हुआ।

“अब क्या काम पड़ गया मधु को?” मैंने फोन उठाया और बड़े प्यार से कहा, “बोलिए मधुजी, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?”

सामने से मधु के बजाए श्लोक की आवाज़ आई, “पापा आज आप मेरे से मस्ती किए बिना ही ऑफ़िस क्यूँ चले गये?”

मैं समझ गया कि श्लोक ने फिर से मधु के सेलफोन के स्क्रीनलॉक का पैटर्न हैक कर लिया है और वो बिना मधु को बताए मुझसे बात कर रहा है।

“बेटा, आपकी छुट्टी थी तो मैंने आपको सोने दिया। अभी दिन को आऊंगा तो पक्का मस्ती करेंगे, ठीक है?” मैने जवाब दिया।

“प्रॉमिस? आप जल्दी घर आ जाना, आपके लिए एक सर्प्राइज़ है!”

“बेटा, सर्प्राइज़ तो मुझे आपकी मम्मा को देना है, आप मुझे क्यूँ सर्प्राइज़ दे रहे हो?”

“मम्मा को सर्प्राइज़! कौन सा?” श्लोक ने चिल्लावो ही तो कब से मैं भी सोच रहा हूँ बेटामैंने मन ही मन कहा और श्लोक को जवाब दिया, “सर्प्राइज़ बताते थोड़ी हैं, और आप मम्मा को सर्प्राइज़ वाली बात नहीं बताना, ठीक है? यह हमारा सीक्रेट है!”

“ओके, पापा। अभी मैं फोन रखता हूँ। मम्मा नहा के आती होगी। आप जल्दी से आ जाना!"

“ओके बेटा, bye।” मैने फोन रखा और समीर से कहा, “मुझे समझ नहीं आता की आज कल के बच्चे कैसे इतने 'technologically advance' हैं? जब मैं चार साल का था तो मेरा इकलौता टैलेंट था सोफा मैं से रुई निकाल के खाना।”

“तू बचपन से ही इतना खाऊ था?” समीर ने फिर कटाक्ष किया।

“अबे उस वक़्त घर पे टाइम पास के लिए ना टीवी पे कार्टून चैनल्स होते थे, ना कोई सेलफोन। बस घर में एक फटा हुआ सोफा था जिसमे से रुई निकला करती थी।”

“सेलफोन की बात से एक आइडिया आया है। तू अपनी वाइफ को कोई नया सेलफोन क्यूँ नहीं गिफ्ट करता? आजकल सेल्फी का ज़माना है, बीवी खुश हो जाएगी।” समीर ने कहा।

“यह सुझाव तो बढ़िया है यार।” मैने खुश होते हुए कहा, “मधु वैसे ही कुछ टाइम से कह रही थी की उसका फोन बहुत ha होता है। आज ही दिन को जा के एक अच्छा फोन लेता हूँ और रात को 12 बजे मधु को गिफ्ट करूँगा।”

तभी ऑफिस में बॉस ने ऐसे एंट्री मारी जैसे ‘शोले’ फिल्म में गब्बर सिंह ने मारी थी और आते ही मुझे कालिया समझ के बोला, “राघव, वो साई इंडस्ट्रीस’ का कोटेशन बन गया?”

मैंने सकपकाते हुए कहा, “बस सर, उसी पर वर्किंग चल रही है। अभी थोड़ी देर में देता हूँ।”

“Hurry Up! आज दिन को जाने से पहले फाइल कंप्लीट करके मुझे दिखाना। आज शाम को बिडिंग करनी है।”

“Noted Sir!” मैंने कहा और अगले 3 घंटे फाइल में ऐसा उलझा की मधु के लिए कौन सा मोबाइल लेना है, वो ऑनलाइन सर्च ही नहीं कर पाया। जब 2 बजे मेरी नज़र घड़ी पर पड़ी तो श्लोक से किया हुआ प्रॉमिस याद आया। जल्दी से फाइल मैंने बॉस के टेबल पे रखी और घर को रवाना हुआ।

घर आते ही जैसे मेन गेट खोला, श्लोक दौड़ते हुए बाहर आया, “Yayyy, पापा आ गये!”

मैने श्लोक को गोदी मैं उठाया और घर के अंदर घुसा, जहाँ सामने ही मधु गुस्से में बैठी थी।

“क्या हुआ?” मैंने पूछा।

टाइम देखा है? आए ही क्यूँ हो? ऑफ़िस में ही खाना मंगा लेते!” मधु ने दहाड़ा।

“अरे मधुजी, कोई भी होटेल तुम्हारे जैसा स्वादिष्ठ खाना बना सकता है क्या?” मैंने सिचुयेशन को संभाला।

“रहने दो। अब श्लोक को नीचे उतारो और खाना खाओ। वैसे ही ठंडा हो गया है।”

“नहीं, पापा ने बोला था की वो पहले मेरे साथ मस्ती करेंगे।“ श्लोक ने कहा और मुझे ज़बरदस्ती अपने अखाड़े यानी बेडरूम में ले गया।

श्लोक के लिए मस्ती का मतलब था 'दंगल' और ‘कुश्'दंगल' फिल्म देख के सीखा था, और अब हर दिन मुझपे एक्सपेरिमेंट करता था। अगले 15 मिनिट तक शरीर के हर हिस्से में मार खाने के बाद और हॉल से मधु के चिल्लाने के बाद, श्लोक ने फाइनली मुझे खाना खाने की इजाज़त दी।

जैसे ही खाने का पहला निवाला मुंह में डाला, मधु ने कहा, “आप मेरी एक बात मानोगे?”

चाहे आप अपनी बीवी की हज़ार बातें मान लें, अगले दिन आपकी बीवी फिर से यही सवाल करेगी कि ‘आप मेरी एक बात मनोगे?’

मैंने मधु की मंशा भांपते हुए कहा, “बिल्कुल मानूँगा। बस शाम को नीलू चाची के दामाद की बर्थडे पार्टी में चलने को मत कहना। वो बात सुबह ही हो गयी थी।”

मधु रूँआंसा होके बोली, “आपको पता भी है मुझे कितना अजीब लगता है हर फंक्शन पे अकेले जाना? हर कोई मुझसे पूछता है राघव क्यूँ नहीं आया। आपको तो बस दिन भर ऑफीस में बैठे रहना है। सोशियल लाइफ भी कोई चीज़ होती है कि नहीं? अगर ऐसे ही रहना था तो मुझसे शादी ही क्यूँ की? अपनी कंपनी से ही शादी कर लेते।”

"शादी सलमान खान की किसी मसाला फिल्म की तरह है, जिसकी ओपनिंग बहुत ही धांसु होती है, लेकिन बाद में कुछ भी नया नहीं रहता। वोही घिसे पिटे सीन्स रिपीट होते रहतें हैं, कहानी नदारत हो जाती है, लॉजिक का कोई वजूद नहीं रहता और क्लाइमॅक्स में होती है एक लंबी लड़ाई। शायद इसीलिए सलमान खान ने खुद शादी नहीं की। "

लेकिन फिलहाल मेरे पास लड़ाई की बिल्कुल भी वक़्त नहीं था। घड़ी में ऑलरेडी ढाई बज चुके थे और मुझे अभी मधु के लिए सेलफोन भी लेना था।

“हम क्यूँ किसी और के दामाद के बर्थडे के लिए अपना समय बर्बाद कर रहे हैं?” मैने फिर एक गहरी साँस भरी और कहना जारी रखा, “देखो, मैं वादा तो नहीं करता लेकिन शाम को जल्दी आने का पूरा try करूँगा। अभी मुझे जाना होगा, ऑफ़िस में बहुत काम बाकी है।” कहते हुए मैं घर से निकलने ही वाला था कि श्लोक ने कहा, "पापा, आपका सरप्राइज तो देखते जाओ!"

"अभी नहीं बेटा, शाम को आके देखता हूँ।" मैंने कहा और तेज़ी से गाड़ी भगा के एक बड़े एलेक्ट्रॉनिक्स के शोरुम में पहुँचा।“बताइए सिर, क्या दिखाऊं आपको”शोरूम के अंदर आते ही सेल्समन ने पूछा।

इससे पहले की मैं कुछ कह पाता पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई, “अरे जीजुसा, आप यहाँ?” ‘गयी भैंस पानी में’ पीछे मुड़ते ही मैंने अपने आप से कहा। सामने मधु की छोटी लेकिन बड़ बोली बहन मोनिका खड़ी थी।

“मैं जीजू सा नहीं, जीजू ही हूँ।” मैने मोनिका को देखते हुए कहा।

“Very funny!" मोनिका ने कहा और मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली, "ये आपके कपड़े और बाल क्यों बिखरे हुए हैं? घर से सोके आये हो क्या?"

"सोके नहीं, पिटके आया हूँ, तुम्हारे भांजे से। आखिर उसकी रगों में भी तो आधा खून भाटिया परिवार का दौड़ रहा है।"

"वो तो है। वैसे आप यहाँ क्या कर रहे हो? अपना दस साल पुराना मोबाइल बचने आए हो क्या?”

“नहीं नहीं…" मैंने हिचकते हुए कहा, "मैं तो नया चार्जर लेने आया हूँ, पता नहीं ऑफीस में से कहाँ ग़ुम हो गया।”

मोनिका को मधु के गिफ्ट के बारे में बताना वैसा ही था जैसे न्यूज़ चॅनेल पे ब्रेकिंग न्यूज़ देना, अगले ही पल वो खबर मधु के पास होती।

“चार्जर लेने इतनी दूर आए हो? ये तो आपके ऑफ़िस के पास किसी छोटी दुकान पे भी मिल जाता।” मोनिका ने जिरह करने में CID के ACP Pradyuman से ट्रैनिंग ली थी।

“वो सब डुप्लीकेट होते हैं। तुम बताओ तुम यहाँ क्या कर रही हो?” मेरी नज़र मोनिका के हाथ में पड़े एक नये मोबाइल बॉक्स पे पड़ी, “फिर से नया मोबाइल? अभी दो-तीन महीने पहले ही तुमने लिया था ना?”

“यह मेरे लिए नहीं, मधु के लिए खरीदा है, कल उसकी मैरिज एनिवर्सरी है ना।”

मेरे सर पे जैसे बम सा गिरा। अब मधु के लिए फिर से और कोई अलग गिफ्ट ढूंढना पड़ेगा, जिसके लिए मेरे पास बिल्कुल भी वक़्त नहीं था।

“अरे, आपको क्यूँ साँप सूंघ गया?” मॉनिका ने सवालिया नजरों से मुझे देखा।

“कुछ नहीं”मैने खुद को संभालते हुए कहा, “वैसे शादी की सालगिरह हम दोनो की है, तुमने गिफ्ट सिर्फ़ मधु के लिए लिया?”

“आपको गिफ्ट की क्या जरूरत है? आपके पास तो वैसे ही दुनिया का सबसे नायाब तोहफ़ा है - मेरी बहन!” मोनिका अपनी ही बात पे ज़ोर से हँसने लगी और फिर बोली, “आप देखो तो सही मैंने मधु के लिए कितना बढ़िया फ़ोन ख़रीदा है! कल ही लांच हुआ है, जिसमें पूरे 32 मेगापिक्सेल का कैमरा है।”

“32 मेगापिक्सेल!” मैंने हैरानी से कहा, “क्यूँ, मधु से मंगल ग्रह की फोटो खिचवानी है? मेरे फोन में तो 3.2 मेगापिक्सेल का कैमरा है, जिससे भी अच्छी तस्वीरें खिचती हैं।” 

“जीजुसा, आप तो ना पुरानी सदी के हो। आपको पता है, इस फोन में मूनलाइट फंक्शन है जिससे रात के अंधेरे में भी अमेजिंग सेल्फी ले सकते हैं, पूरे दिन में सेल्फी कम पड़ती थी जो अब रात को भी इंसान उल्लू की मैं अपने आप से बुदबुदाया।

शोरूम का सेल्समन, जो बड़े धीरज से हमारी बातें ख़तम होने का इंतज़ार कर रहा था, आख़िरकार मुझसे बोला, “सर, आपको कौन सी कंपनी का चार्जर चाहिए?”

“अच्छा जीजुसा, मैं चलती हूँ, कल मिलते हैं।” मॉनिका ने फाइनली विदा ली।

शोरुम से बाहर निकलते हुए मेरे पास दो चीज़ें थी - हाथ में नया चार्जर जिसकी मुझे कोई जरूरत नहीं थी, और दिल में मायूसी जो मॉनिका से मिलने के बाद हुई थी।

“राघव, तू फिर वहीं आ गया जहाँ से चला था।” मेरी अंतरात्मा ने फिर से आवाज़ दी।

कहानी जारी रहेगी, तीसरा और अंतिम भाग जल्दी ही।


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