एक स्कूल की मौत
एक स्कूल की मौत
मम्मी के मुंह से गब्बर का नाम सुनकर भले ही रामपुर के बच्चे ना डरते हों, लेकिन अटल सत्य था, हेडमास्टर जी के पहुंचने की खबर शानपुर के सरकारी स्कूल में सन्नाटा था। तेज होता सन्नाटा हेडमास्टर जी के पास आते जाने की पुष्टि कर रहा था। मंगल की धड़कन बढ़ चली, उसे आज अमंगल होने का पक्का यकीन था। तभी वो फौजी बूट अंदर दाखिल हुए.....
क्षण में सभी छात्र ऐसे खड़े हुए मानो बैठकर गप्पे हांकने का वक्त अब कभी लौटकर नहीं आएगा। 3 कतार में खड़े 36 झंडुओं में से किसी की हिम्मत नहीं थी कि उनको घूर रही चंपूलाल जी की नजरों से नजरें मिला सके।
हेडमास्टर जी की तरफ नहीं देखना है, कुछ पूछ लिया तो...मंगल के अमंगल दिमाग ने जाओ सभी....
छात्र बैठे ही थे, तभी फिर से चिल्लाए- लिखोोोो, लिखोो, बफैलो की स्पेलिंग लिखो।
कक्षा के हर छात्र का परिवार खेती-बाड़ी से जुड़ा था। गाय-भैंस-बकरी हर आंगन में बंधी थी लेकिन बफैलो सुनकर बैठते छात्रों की आंखें एक-दूसरे से सवाल कर रही थी, ये हेडमास्टर जी कौन से रॉकेट की बात कर रहे हैं ?
लिख दी मास्टर जी, मॉनिटर सुनील
खुद का ध्यान दिए गए काम पर लाते हुए चंपूलाल जी ने महसूस किया कि कुछ बच्चे एकदम बुत की तरह बैठे हैं, कुछ नॉन स्टॉप लिखे जा रहे हैं। लेकिन बफैलो कि स्पेलिंग में इतना कहां लिखना होता है ?
बस। सभी कॉपी नीचे रख दो। चंपूलाल का आदेश कमरे में गूंजा।
चापलूसी हेडमास्टर जी को कभी पसंद नहीं थी लेकिन हक किसी का नहीं मारते थे। चतुर सुनील ने सबसे पहले बफैलो की स्पेलिंग लिखने का दावा किया था। पहले उसी को मौका दिया गया। कहा- दिखाओ। पूरे विश्वास से सांवला लड़का उठा, उठकर एक कदम आगे बढ़ाया और कुर्सी पर बैठे हेडमास्टर जी की तरफ कॉपी कर दी।
लिखना कहां से सीखा है बेटे ? हेडमास्टर जी ने सुनील से पूछा। सुनील को स्पेलिंग पर पूरा भरोसा था। उसे भरोसा था कि उसका रट्टा फेल नहीं हो सकता है। सुनील ने साहस कर कहा- स्पेलिंग सही है हेडमास्टर जी।
चुपपपपपप। हेडमास्टर जी ने कहा, तुम्हारी लिखाई समझने के लिए मुझे ऐनक का नंबर बढ़ाना पड़ेगा।
सुनील । होशियार होने के साथ-साथ मंगल तोतला भी था।
क्या कहा, क्या कहा ? हेडमास्टर जी ने गर्दन के उपर का चेहरा बैक लेकर, कान उसकी की तरफ मोड़ दिए, ताकि मंगल ने जो बुदबुदाया था वो सुन सकें। लेकिन मंगल का आशंकित चेहरा सफेद पड़ गया। वो समझ गया कि अब तो उसकी जबान पहले से भी ज्यादा तुतलाकर बोलेगी। इसलिए उसने मुंह खोला ही नहीं। बस नजरों से कुछ इशारे कर रहा था। हेडमास्टर जी भन्ना गए। सुनील की कॉपी उसे वापस करते हुए मंगल से कहा- कॉपी लेकर इधर आओ।
रट्टेबाज सुनील ऐसे खामोशी से कॉपी वापस लेने वाला नहीं था। मॉनिटर होकर और सही स्पेलिंग लिखकर भी अगर उसके नाम की वाह-वाही नहीं होती, तो उसे सत्ता कायम रखने में परेशानी होती। सांस दम लगाकर अंदर खीची और बाहर छोड़ते हुए चंपूलाल की हां सुनने के लिए पूछा- मास्टर जी स्पेलिंग सही है ना ?
आज ही गोल्ड मेडल लोगे ! लिखावट ठीक करो। सही लिखकर भी कीड़े-मकोड़ों जैसे अक्षर में और किसी को बेफैलो की स्पेलिंग का पता हो। अब सबकी पिटाई देखने में मजा आएगा, बहुत मजा आएगा। रोशनी की रफ्तार 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड होती है, लेकिन कपटी सुनील का मन उससे भी तेज गति से सोचते हुए असीम आनंद की अनुभूति कर रहा था।
और 3 लाख से बस जरा कम थी मंगल के दिल की धड़कन। उसकी हालत ऐसी थी जैसे रेलवे ट्रैक किसकी हुई है। 80 कोस को डराए रखने वाले चंपूलाल क्या आज हार गए हैं ? क्या मंगल जीत गया है। पहले मंगल का दिमाग हैंग था, अब पूरी क्लास का !
शानपुर के सरकारी स्कूल की 8वीं कक्षा कोई साधारण क्लास नहीं है। बड़े-बड़े आए और गच्चा खाकर ठंडे हो गए। ये चुगली अंग्रेजी के टीचर गुलाब सिंह, प्यारी मैडम के साथ कर रहे थे। गुलाब सिंह इस कक्षा को सातवीं में अंग्रेजी पढ़ाते थे, लेकिन इस बार उन्हें मौका नहीं दिया गया, इसलिए उनके मन में जलन थी। गुलाब-प्यारी मैडम की बातचीत को लहरिया चौकीदार ने छिपकर सुन लिया था। निचोड़ को मिलावट के साथ हेडमास्टर जी के कान में घोल दिया। हालांकि ये बात बताने पर चंपूलाल जी ने चौकीदार को डांट भी मारी थी।
खैर, चंपूलाल जी आगे चैक की। और कहा- सही है। इसके बाद चंपूलाल जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। सतीश ने बड़े आत्मविश्वास से उनके हाथ से अपनी कॉपी ले ली। और स्टाइल से मुड़कर मॉनिटर सुनील की तरफ आंख मारी। आंख मारने का मतलब था कि इस क्लास का हीरो वो है। कपटी सुनील का खून खौल उठा।
हेडमास्टर जी सोचने लगे कि उन्हें इस कक्षा के बारे में गलत खूफिया जानकारी दी गई कि चंपूलाल जी को समझ में नहीं आया। इसे शर्माना कहा जाए या डरना। छात्र ने खड़े होने के साथ कॉपी छिपा ली। हेडमास्टर ने कहा- कॉपी दिखाओ। छात्र कॉपी दिखाने से झिझक रहा था। हेडमास्टर जी ने खुद से लंबे लड़के के हाथ से कॉपी लगभग झपट ली। और पन्ने पर बना मंजर देखते ही उनका गला दहाड़ उठा। दरबो, डंडा लेकर आओ....
जैसे प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति के मीटिंग में व्यस्त होने पर, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के को अहसास हुआ कि छात्र अंदाजे से ज्यादा मजबूत है। छात्र क्षमा की प्रार्थना कर रहा था। कक्षा में किसी को समझ नहीं आ रहा था कि बलबीर नाम के उस छात्र ने ऐसा क्या लिख दिया कि चंपूलाल जी को ऐसा भयानक गुस्सा आ गया है।
हेडमास्टर जी दोनों हाथों से गर्दन पकड़ झुक जाओ की रट लगा रहे थे, बलबीर जवाब में बार-बार क्षमा की प्रार्थना कर रहा था। दरबो ताई को समझ नहीं आ रहा था कि हेडमास्टर जी के दोनों हाथ तो व्यस्त हैं, वो डंडा कहां पकड़ाए !
बात बढ़ती गई, छात्र झुक नहीं रहा था, लेकिन चंपूलाल कोई सामान्य हेडमास्टर नहीं थे। हेडमास्टर जी को लगा कि उनका हाथ बिरला सीमेंट से बनी दीवार में जा टकराया है।
चंपूलाल जी ने दहाड़ मारी...तोड़ दियायययया, अबे हाथ तोड़ दिया, दरबो डॉक्टर बुलाओ, हाथ तोड़ दिया...
हेडमास्टर जी जब भी बोलते थे,