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पहला प्यार

पहला प्यार

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अंजली कोने में खिडक़ी के पास बैठी हुई थी। चुपचाप आँसू बहा रही थी। इतने में आकाश की गाड़ी का होर्न सुना तो आँसू पोछते हुए बाथरुम में जाकर मुहँ धो लिया और किचन में चाय बनाने लगी।

आकाश जैसे ही दरवाजे पर आया वहीं से आवाज लगाई, 'अंजू मैंने दोस्तों के साथ नास्ता किया है तो मैं कुछ भी नहीं खाऊँगा। बस एक ग्लास दूध...हमममम' ये बोलते हुये अपनी बैग और घड़ी सोफे पर फेंकी रोज की तरह। ना तो अंजली का कोई जवाब सुना, ना उसकी ओर देखा। सीधा बाथरूम में चला गया। अंजली ने गैस बंद किया और शाम के कामो में लग गई।

अंजली शाम की पूजा की तैयारियों में लगी और कान्हा जी की मूरत को देखते फिर सोच में पड़ गई। रजत का चेहरा उसकी आँखों से हटता नहीं था। आज बरसों बाद वो रास्ते में मिला। दोनों की आँखों में आँसू थे। एक समय के दो दिल, एक जान आज अजनबी थे।

वक्त ने ऐसी ठोकर मारी कि दो प्यार करनेवाले जुदा हो गए।

एक पल तो ये मन हुआ कि लिपट जाएँ एक दूसरे से लेकिन समाज ने खींचीं लकीर ने रोका। बस एक दूसरे का हाल पूछा और चल दिये। अंजली आज भी रजत को उतना ही प्यार करती थी। ना रिश्ता भूली, ना अहसास कम हुआ।

हा ! बस तकदीर के खेल ने सब तहस-नहस कर दिया। उन दोनों के बारे में उनका पूरा ग्रुप कहता था कि ये जनम-जनम का रिश्ता है। वो दोनों थे ही ऐसे की कोई भी उन के प्यार पर वारी हो जाता। प्यार तो था पहली नजर का पर एक दूसरे को बताने में दो साल लगे। तब तक दोनों एक दूसरे को चुपचाप प्यार करते रहे पर उनका प्यार आँखों में छलक ही जाता था।साफ-साफ दिखती थी एक दूसरे की परवाह।

एक दिन रजत बीमार पड़ा, उसे इतना बुखार था कि वह बोल भी नहीं पा रहा था। अंजली ने कॉलेज में इन्तजार किया, फोन लगाया पर कोई जवाब नहीं। दोस्तों को भी पूछा पर किसी को पता नहीं था। वह दौड़ते हुए रजत के घर पहुँची। उसकी हालत देखकर फूट-फूट कर रोने लगी। अचानक उससे लिपट गई तो रजत मुस्कुराते हुए बोला, 'थैंक्यू बुखार तेरी वजह से मुझे अपना प्यार मिला और वो भी इतने करीब से। घंटो तक एक दूसरे का हाथ, हाथ में लिये बैठे रहे वह दोनों। आज सारी दूरियाँ मिट गईं थी।

फिर गिफ्ट, खत, मैसेज और रात को देर-देर तक बात करने का सिलसिला शुरू हुआ। अब घरवालों और दोस्तों से छुपकर विकेन्ड में घूम भी लेते थे पर कभी अपनी मर्यादा नहीं भूले। फिर मिलकर दोस्तों को बताया। घर तक बात पहुँचे इससे पहले एक दु:खद घटना घटी।

किस्मत देखो कि अंजली की बड़ी बहन रैना की रोड एक्सीडेन्ट में मोत हो गई और उसके दो छोटे बच्चों के बारे में सोचते हुए घरवालों ने उसकी और आकाश की शादी करवा दी। आकाश ने उससे कहा भी मेरी और इन बच्चों की खातिर अपनी जिंदगी बरबाद मत करो।

पर प्यार के सामने फर्ज जीता। अंजली ने रजत को फोन कर के सारी बात बताई। रजत तो जैसे पागल हो गया। उसने अंजली से कहा, 'अंजू हम दोनों बच्चों को माता-पिता का प्यार देगें। तुम ये गलत फैसले में हामी मत भरो। मैं तुम्हारे सिवा किसी को नहीं अपना सकूँगा। अंजली ने हिम्मत करके घरवालों से बात की पर वे नहीं माने। रजत भी अंजली के पापा से मिला। उन्हें बहुत समझाया, विनती की पर वह नहीं माने।

अंजली के माता-पिता ने उससे कहा की उसने अगर आकाश से शादी से इन्कार किया तो वे दोनों जहर खा लेगें। बस फिर क्या था बिछड़ गये दो प्यार करनेवाले दिल। रजत ने अंजली से वादा लिया की वह कोई गलत कदम नहीं उठायेंगी और हमेशा खुश रहेगी। दिल पर पत्थर रखकर अंजली ने ये वादा किया।

रजत ने शहर छोड़ा पर दिल को कहाँ छोड़ा जा सकता है। अंजली अपने फर्ज को निभाने में जैसे खुद को भूल गई। उसने तय किया कि वह कभी अपना  बच्चा नहीं लायेगी। इन दो बच्चों को पूरा प्यार देगी।

रोज शाम को मंदिर में दिया जलाकर रजत की खुशी के लिए प्रार्थना करती। आज भी दीया जलाया और बारह साल की वही प्रार्थना दोहराई। उसकी आँखों में आज आँसू थे। सच कहा किसी ने,"इन्सान मरते हैं, प्यार नहीं मरता।" तभी दोनों बच्चे स्कूल से आये और उससे लिपट गये।

उसने दोनों बच्चों को सीने से लगाया और कान्हा जी की मूर्ति की ओर देखा। दीये का प्रकाश उनके मुख पर पड़ रहा था और अंजली को महसूस हुआ की कान्हा जी उसे देखकर मुस्कुरा रहे हैं।

दोनों बच्चों के हाथ पकड़कर वह हँसते हुए उनके रूम में चली गई।


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