Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

भीड़ से अलग

भीड़ से अलग

1 min
2.0K


पापा का फोन आया देख मयंक समझ गया कि आज भी वही बातें सुनने को मिलेंगी। उसे मुंबई में संघर्ष करते पाँच साल हो गए थे। नौकरी के अच्छे अवसर को छोड़ कर वह यहाँ अपना सपना पूरा करने आया था। इस बीच उसके दोस्त और चचेरे भाई बहन अपने जीवन में व्यवस्थित हो गए थे। अतः उसके पापा को लगता था कि फिल्म लाइन में काम पाने के लिए वह जो संघर्ष कर रहा है वह महज़ समय की बर्बादी है। उसके हाथ कुछ नहीं आएगा। एक दिन वह किसी और नौकरी के लायक नहीं रह जाएगा।
उसने फोन उठाया तो पापा ने बताया कि उसके एक और दोस्त की शादी हो रही है। बड़े दुखी मन से वह बोले।
"हमारे नसीब में पता नहीं यह सुख है भी कि नहीं कि तुम्हें सेटेल होते देखें। तुम बताओ कि आखिर हमसे ऐसा कौन सा पाप हो गया जिससे तुम पर यह फितूर चढ़ गया।"
मयंक कुछ नहीं बोल सका। उन्हें कैसे समझाता कि यह उसका फितूर नहीं बल्कि दुनिया की भीड़ से हट कर अपनी अलग पहचान बनाने की उसकी छटपटाहट है।


Rate this content
Log in