Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

कहानी सुहानी की

कहानी सुहानी की

5 mins
8.1K


कहानी सुहानी की - सीरत की कीमत वही जानता है जिसने सूरत से धोखा खाया हो

सुहानी को देखने के लिए उसके घर पर लड़के वाले आने वाले थे| ये पहली बार नहीं है जब कोई लड़के वाले सुहानी को देखने आ रहे हैं बल्कि ये पिछले 5 साल में 35 बार हो चुका है| इसकी वजह ये नहीं है कि लड़के वालों ने सुहानी को हर बार मना कर दिया हो बल्कि हर बार खुद सुहानी ने लड़के को मना किया है और हैरानगी की बात ये है कि वो 35 के 35 लड़के वही थे जो सुहानी के माता-पिता को पसंद थे|

सुहानी देखने में बहुत खुबसूरत थी| शायद यही इक वजह थी जिसके कारण आज तक किसी लड़के ने उसे शादी के लिए इनकार नहीं किया था| पर सुहानी को अपनी खूबसूरती पर बहुत गरूर था और उसकी सबसे बड़ी ख्वाहिश यही थी कि लड़का बहुत सुन्दर हो| उसकी कद-काठ किसी हीरो से कम ना हो| अब तक जो भी उसे देखने आए उनमें से उसे किसी का चेहरा पसंद नहीं आया, किसी के बाल, किसी का कद, किसी का अंदाज़ तो किसी की चाल|

वो सभी लड़के अच्छे पढ़े-लिखे, अच्छी नौकरी या अच्छे व्यापार के मालिक थे और अच्छे परिवार से थे| सुहानी के माता-पिता को हर बार उम्मीद थी कि इस बार उनकी बेटी इस लड़के को ज़रूर पसन्द कर लेगी पर हर बार उनके हाथ निराशा ही आई| अब वो भी परेशान रहने लगे थे कि सुहानी जो कि 30 साल की हो चुकी है उसे कोई लड़का पसंद आएगा या नहीं| वो अपनी बेटी को समझा-समझा कर भी थक चुके थे कि सूरत ही सब कुछ नहीं होती पर वो इस बात से डरते भी थे कि अगर उन्होंने अपनी मर्ज़ी से अपनी बेटी का रिश्ता पक्का कर दिया तो वो शायद खुश ना रह पाए|

अब 36वें लड़के वाले सुहानी के घर पहुँच चुके थे| इस बार लड़का जिसका नाम शुभम है, बहुत सुन्दर है और हीरो की तरह ही दिखता है पर वो तलाकशुदा है| सुहानी के माता-पिता ने ये बात जानकार भी अपनी बेटी की ख़ुशी खातिर उसे बुलाया कि ये लड़का बहुत ज्यादा सुन्दर है और हमारी बेटी को सुन्दर लड़का ही चाहिए| लड़के को पहली झलक देखते ही सुहानी के चेहरे पर मुस्कान सी आ गयी| सुहानी के माता-पिता को अब लगने लगा कि इस बार सुहानी ज़रूर हां कर देगी| चाय के बाद सुहानी और शुभम को थोड़े वक़्त के लिए एकांत में बिठा दिया ताकि वो एक-दूसरे को थोड़ा बहुत जान सकें और एक दुसरे से अपने सवाल पूछ सकें|

जैसी ही वो दोनों एकांत से निकलकर सबके पास आते हैं तो सुहानी के माता-पिता उससे पूछते हैं कि बेटी क्या तुम्हें शुभम पसंद है? उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता क्योंकि सुहानी सबके सामने हाँ कर देती है| ये सुनते ही ख़ुशी में सुहानी के माता-पिता मिठाई की प्लेट शुभम के माता-पिता के आगे करते हैं और कहते हैं कि मुहं मिट्ठा कीजिए| लेकिन साथ ही शुभम उन्हें रोक देता है और कहता है कि सुहानी को मैं तो पसंद हूँ पर मेरी तरफ से शादी के लिए ना है|

मुझे सुहानी की सूरत तो पसंद है पर सीरत नहीं| खाना बनाने से लेकर घर के बाकी कामों तक इसे कोई भी काम करना नहीं आता| सजना-संवरना, अच्छा दिखना और घूमना इसके शौंक है| इसने मुझे ईक बार भी नहीं पुछा कि मेरा तलाक क्यों हुआ, क्या मैं सिगरेट या शराब पीता हूं? मेरे घर में कौन-कौन है? मैंने यहाँ आने से पहले इसके बारे में पता भी करवाया था और यही पता लगा था कि इसमें बहुत अभिमान है| फिर भी मैं अपने माता-पिता के कहने पर यहाँ चला आया| 

अगर साफ़ लफ़्ज़ों में कहूं तो मैं सुहानी से शादी करके अपनी पहली शादी की गलती को दोहराना नहीं चाहता जिसमे मैंने सिर्फ़ बाहरी खूबसूरती ही देखी थी| मगर शादी के बाद एहसास हुआ कि रिश्ते जोड़ने के लिए शायद बाहरी खूबसुरती चाहिए पर निभाने के लिए यकीनन अन्दर की खूबसूरती चाहिए| “सीरत की कीमत वही जानता है जिसने सूरत से धोखा खाया हो”|

शुभम सुहानी के माता-पिता से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगता है और कहता है कि मैं ये सब अकेले में भी कह सकता था पर सबके सामने इसलिए कहा कि शायद सुहानी को एहसास हो जाए कि जो रिश्ते हमारे लिए माता पिता चुनते हैं उसमें वो अपना सारा तजुर्बा लगा देते हैं और कोशिश करते हैं कि जिंदगी की गाड़ी को अच्छे से चलाने के लिए जो गुण चाहिए वो सभी उस लड़के या लड़की में हो| लड़की में सिर्फ़ खूबसूरती का होना उसकी सम्पूर्णता को नहीं दर्शाता| मेरा तुम्हें कहने का कोई हक़ तो नहीं फिर भी सुहानी मैं जरूर कहूँगा कि अपने में वो सभी खूबियां पैदा करो जो एक लड़की में होनी चाहिए| खूबसूरती तो तुम्हें खुदा का दिया तोहफा है और उसी लड़के से शादी करना जिसे तुम्हारी खूबसूरती से ज्यादा बाकी खूबियों की कदर हो, नहीं तो वो तुम्हारी खूबसूरती ढलते ही तुम्हें छोड़ देगा और शादी का रिश्ता कुछ महीनों या सालों का नहीं बल्कि जन्मों का होता है| ये सब कहकर सुभम और उसका परिवार वहाँ से चला जाता है|

उनके जाने के बाद सुहानी अपने कमरे में जाकर खूब रोती है| आज पहली बार किसी ने उसका झूठा ग़रूर/ झूठा अभिमान तोड़ा होता है| आख़िरकार उसे एहसास हो जाता है कि आजतक उसने अपने माता-पिता को कितना दुःख दिया है| वो उनके पैरों में बैठकर उनसे माफ़ी मांगती है और कहती है कि अब जो भी लड़का आप मेरे लिए पसंद करोगे, मेरी तरफ से उसके लिए हाँ है, अगर वो भी हाँ कर दे तो|

सुहानी की आखिरी बात से उसके माता-पिता समझ जाते हैं कि उनकी बेटी अब बड़ी हो गयी| 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational