माँ की निशानी
माँ की निशानी
पिंकी बहुत बैचैन हो रही थी उससे अब सहन नही हो रहा था , रह रह कर उसका ध्यान कबर्ड की और जा रहा था वह नही चाहती थी उसे लेना , वह जानती थी उसमें जो बंद है उसकी क्या अहमियत है उसकी जिंदगी में । उसका पूरा मुँह सुख रहा था, इतना पानी पीने के बाद भी गला सूखा का सूखा ही था, पूरे शरीर की नसें खिंच रही थी, सर में इतना दर्द था की ऐसा लग रहा था अभी फट जायेगा ।
कबर्ड में माँ की अंतिम निशानी ,यह एक लॉकेट ही बचा था उसके पास। उसमे माँ और उसकी बचपन की तस्वीर थी , और वह किसी भी कीमत पर नही चाहती थी की उसे बेचे, मगर टोनी ने कहा था की अब वह फ्री में "पावडर" को देखने भी नही देगा, "और वह नही मिला तो मैं मर जाऊँगी ।मुझे चाहिये ही वह , उसके बिना "आह" सिर में बहुत दर्द है ये ऐठन क्यो हो रही है शरीर में , "नही "... नही मैं मर जाऊँगी पर इसे नही ले जाऊंगी बहुत समय तक चले इस अंतर्द्वंद में आखिर वह "पावडर" जीत ही गया।
अलग ही लोक में विचरण कर रही है पिंकी , शरीर अब रिलेक्स है, सर दर्द का नामोनिशान नही , बाहर की कोई आवाज सुनाई नही दे रही थी उसे , अब घंटो वह ऐसे ही बिस्तर पर पड़े रहेगी ।
आज माँ की अंतिम निशानी भी उस "पावडर" ने लील ली थी , अब कल का क्या ?
यह जिंदगी है कोई खेल नही