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जो तन लागे सो तन जाने

जो तन लागे सो तन जाने

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बीना और नीरा जेठानी-देवरानी थी जो एक संयुक्त परिवार में रहती थी। परिवार में दो भाई थे, सास-ससुर थे।बीना का पीयर मध्यम घर से था।

तीन साल हुए उसकी शादी को। सब उसे, उसके परिवार को मान-सम्मान देते थे। बीना के परिवार की तरफ से ससुराल मे देने-लेने से पीछे नहीं हटते थे और मान-सम्मान भी खूब करते।

अभी नीरा देवरानी बनकर आई उस का परिवार ऊँचे घर से था, नीरा की पहली तीज थी। बीना के घर से जैसे हर साल सामान आता था सबके लिये आया, बीना खुश दिखाई दे रही थी और घर के काम को जल्दी कर रही थी।

सबको तीज पर झूला झुलने, मेले में जाना जो था। वो भी सजसंवर कर। मैहंदी तो बीना और नीरा ने रात ही लगा ली थी। नीरा अमीर परिवार से थी उस के घर से दुगना सामान आया। दोनों ने अपनी साड़ियाँ और सब सामान तैयार कर रात ही रख लिया था। दोनों की तैयार हो गयी, सास भी साथ जाने के लिये आ गयी थी। तीज की रौनक की अलग ही दिखायी दे रही थी।

सब आस पड़ोस के तीज मनाने इक्टठा हुए। जैसे सब महिलाओं की आदत अनुसार कौन आया ? क्या दे गये ? पूछा और बताने का सिलसिला चल रहा था। नीरा और बीना उन महिलाओं के साथ अपने हमउम्र सबके साथ बातें कर रही थी कि उनकी सास नीरा के घर के एक एक महँगी चीज को गिना रही थी। सास का बीना के सामान को कहना जैसै सामान्य परिवार देता है वैसे ही आया पर.. नीरा का तो एक एक चीज चुनकर लाये हैं।उसके पीहरवाले ये.. वो ..ऐसा महँगा कि क्या बताये ! सबको घर आने का न्योता दे रही थी देखने के लिए। उनके मुँह पर बस नीरा के घर की अमीरी सुनाई दे रही थी।


सुनकर बीना की सारी खुशी एक मिनट मे धूमिल हो गयी। उस समय बीना के आँसू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे,आज उसके पीहर के दिये सामान का कोई मान नहीं था, उसके दुख को कोई नहीं समझ सकता था।



अगले दिन सभी सासु मां की सहेलियां घर आए सासु मां ने उन्हें बैठाया और थोड़ी देर बाद मीरा और बीना नाश्ता चाय पानी लेकर आ गए ।समोसे कचौडिया बीना ने बनाई थी ।बीना पाक कला में कुशल थी। सब पूछने लगे कि किसने बनाई है? बहुत स्वादिष्ट बनी है तब सासु मां के बोलने से पहले ही बीना ने कहा कि नीरा भी खाने में बहुत कुशल है ,हम दोनों ने मिलकर बनायी हैं।


सब ने बहुत तारीफ करें कि तुम बहुत सौभाग्यशाली हो कि तुम्हें ऐसी बहूए मिली है जो व्यवहार और खाना बनाने में कुशल है और मान सम्मान करना जानती है।


थोड़ी देर बाद सब बातें बातें करने लगे ।तब सब ने कहा हम अरे हम वह सामान तो दिखाइए जिस चीज के लिए हम यहां पर आए थे ।सिधांरा कैसा आया है बहुओं का? तीज का सामान देखने आए थे हम लोग ।स्वादिष्ट खाने में ही उलझे रह गए सब हंसने लगी ।


सासु मां ने नीरा को इशारा किया सामान लाने के लिए नीरा अपना और बीना का सामान मिला कर ले आई ।तब सब ने कहा कि बीना तुम भी ले आओ अपना सामान ।नीरा ने कहा कि हम दोनों का समान ही मिलाकर है ।तब दोनों का अलग-अलग सामान की तारीफ , गुणगान करने का मौका ही नहीं था सासु मां के पास। सब लोग मिलकर समान देख रहे थे दोनों का ।और तारीफ कर रहे थे सामान बहुत अच्छा आया है ।


जैसे नीरा सामान रखकर अंदर कमरे में आई ।बीना ने उसे कस के गले लगा लिया और आंसू रुक नहीं रहे थे ।रो रही थी शुक्रिया नीरा तुमने मेरी मायके का मान रखा ।तुलना होने से बचा लिया ।मीरा ने कहा दीदी आपने भी तो मेरा नाम लेकर ,आप ने ही सब बनाया मेरा नाम लेकर सबके सामने मुझ को बचाया ।आप नहीं समझोगी।


जो तन लागे वो तन जाने और दोनों गले लग कर मुस्कुराने लगी।



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