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छोटी सी बात

छोटी सी बात

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सरिता एक सोशल साइट पर एक लेखन मंच‌ से जुड़ी थी। वहाँ अक्सर किसी ना किसी विषय पर लेखन की प्रतियोगिता होती रहती थी। सरिता ने कई प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन किया था। 

आज जब उसने मंच पर लॉग इन किया तो पता चला कि आज का विषय है 'प्यार का एहसास'। उसे लगा कि इस पर तो आसानी से लिख सकती है। वह पुनीत से प्यार करती है। जल्दी ही दोनों की शादी होने वाली है। 

सरिता लैपटॉप लेकर बैठ गई। वह एक छोटी सी कहानी लिखना चाहती थी। 

उसने शुरुआत की कुछ पंक्तियां लिखीं। उन्हें पढ़ा पर उसे अच्छी नहीं लगीं। उसने उन्हें मिटा कर फिर से कोशिश की। पर बात बनी नहीं। 

वह बार बार लिख रही थी और मिटा रही थी। आज अपने लिखे से वह संतुष्ट नहीं हो पा रही थी। बहुत कोशिशों के बाद भी जब कुछ नहीं हुआ तो उसने लैपटॉप बंद कर रख दिया।

वह नीचे उतर कर बागीचे में आई। उसने देखा कि उसकी दादी चारपाई पर सोई हुई हैं। जब वह सोई होंगी तब धूप रही होगी। पर अब धूप ढल रही थी। हवा चलने लगी थी। 

सरिता ने सोंचा कि वह दादी को जगा कर अंदर जाकर सोने को कहे। पर तभी उसकी नज़र अंदर से आते अपने दादा जी पर पड़ी। उनके हाथ में एक कंबल था। सरिता रुक कर देखने लगी।

दादा जी ने जाकर वह कंबल अपनी पत्नी को ओढ़ा दिया। वह अंदर लौटने लगे। पर लड़खड़ा गए। सरिता ने आगे बढ़ कर उन्हें थाम लिया। दादा जी ने कहा।

"तेरी दादी की हरकतें बच्चियों की तरह होती जा रही हैं। खुले में सो रही थी। अगर जगा देता तो सर में दर्द हो जाता उसके।"

सरिता उन्हें उनके कमरे में छोड़ आई। वैसे तो जो उसके दादा नॅ किया वह छोटी सी बात थी। पर वह जानती थी कि दादा जी सुबह से जोड़ों के दर्द से परेशान थे। उन्होंने कमरे की खिड़की से दादी को खुले में सोते देखा होगा तो अपनी परवाह किए बिना उन्हें कंबल उढ़ाने चले गए। 

सरिता को भी कहानी मिल गई। वह अपना लैपटॉप लेकर बाहर दादी के पास बैठ कर लिखने लगी।


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