संत नामदेव का प्रेरक प्रसंग
संत नामदेव का प्रेरक प्रसंग
एक बार नामदेव जी अपनी कुटिया के बाहर सोये हुए थे, तभी अचानक उनकी कुटिया में आग लग गयी। नामदेव जी ने सोचा आज तो ठाकुर जी अग्नि के रूप में आये हैं तो उन्होंने जो भी सामान बाहर रखा हुआ था वो भी आग में डाल दिया। तब लोगों ने देखा और जैसे - तैसे आग बुझा दी और चले गये। ठाकुर जी ने सोचा इसने तो मुझे सब कुछ अर्पण कर दिया है। ठाकुर जी ने उनके लिए बहुत ही सुन्दर कुटिया बना दी। सुबह लोगों ने देखा वहाँ तो बहुत सुंदर कुटिया बनी हुई है। उन्होंने नामदेव जी को कहा, रात को तो आपकी कुटिया में आग लग गयी थी फिर ये इतनी सुंदर कुटिया कैसे बन गयी ? हमें भी इसका तरीका बता दीजिए। नामदेव जी ने कहा, सबसे पहले तो अपनी कुटिया में आग लगाओ फिर जो भी सामान बचा हो वो भी उसमे डाल दो। लोगों ने उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा और कहा अजीब पागल है ! नामदेव जी ने कहा, वो पागलों के ही घर बनाता है...।
अब ये हमें देखना है कि हमें अपना कौनसा मकान जलाना है ?
अपना कौनसा सामान जलाना है और किसके प्यार में पागल होना है...?