उम्र बीत गई चिल्लर कमाने में
उम्र बीत गई चिल्लर कमाने में
यारों यहाँ उम्र बीत जाती है चिल्लर ( दौलत ) कमाने में और यहाँ लोग हजारों ~ लाखों ~ करोड़ो खर्च कर देते है बेमतलब की रस्मों रिवाज़ों में और दिखावे में !
ज़रूरी नहीं की रिश्तों में पैसे खर्च करने से ही ख़ुशियाँ आती है ज़रुरी नहीं दौलत से ही रिश्ते मजबूत होते है अजी रिश्ते हमेशा सच्चे दिल से सच्चाई से और ख़ुशियों से जुड़ते है न की बेवजह बेफ़िज़ूल दौलत के लुटाने से दिखावे जोड़े जाए...समाज के सामने दुनिया के नज़रों में हम दिखावा करे या न करे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता हम कैसे करते है कैसे रहते है कैसे रिश्ते निभाते है इससे हमें फर्क पड़ता है पड़ना भी चाहिए समाज क्या सोचता है दुनिया क्या सोचती है उससे कोई मतलब नहीं पर हम क्या सोचते है हमारे अपने क्या सोचते है हम किस राह पे चलते है इससे हमें फर्क पड़ना चाहिए...अगर हम सही है और सच्चे दिल से हमारे रिश्तों को निभाते है हंसते मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते है, तो हमें समाज या दुनिया क्या कहता है क्या सोचता है उसकी फ़िक्र नहीं करनी चाहिए क्यों की हम सही है और सही रास्तों पर है बस हमेशा हँसते मुस्कुराते रहे, खुश रहे और ख़ुशियाँ बांटते रहे।