फैसला
फैसला
गाँव की बेटी की शादी थी। पढ़ी लिखी लड़की है, रामशरण की, बी ए पास किया है उसने साथ ही बी एड भी है, गवर्नमेंट स्कूल में शिक्षिका है, बहुत होशियार और आत्मविश्वास से लबरेज़। लड़का पास के गांव का है बिजली विभाग में है उसकी नौकरी। रामशरण ने बहुत देख सुनकर ब्याह तय किया है, सारे नेग चार हो चुके आज बारात आनी है, नियत समय पर बारात आई लड़के के दोस्तो ने बहुत डांस किया, लड़के को भी नचा दिया घोड़ी से उतारकर। सभी बेहद खुश हैं,जयमाला के बाद भोजन का भी अच्छा इंतज़ाम कर रखा है लड़की वालों ने।
लड़का धर्मेन्द्र मंच पर पहुंच चुका है, लड़की शालू के आने की देर है, अपनी सखी के साथ शालू मंच पर आती है, जयमाला लिए, दोनो की फ़ोटो भी खींच रही हैं, अचानक धर्मेन्द्र शालू के एकदम करीब आ जाता है और जयमाला डालने जैसे ही आगे झुकता है, शराब की दुर्गंध से शालू पीछे हो जाती है, "ये क्या तुमने शराब पी रखी है"
"हाँ आज मेरे जीवन का सुनहरा पल है, मजे तो लेने चाहिए इस दिन।" दूल्हे ने कहा।
"आज जीवन का बहुत बड़ा दिन है हमारे लिए और तुमने शराब में अपने होश ही खो दिए हैं, मुझे इनकार है तुमसे शादी करने को।" वह वापिस जाने मुड़ती है पर लड़का उसका हाथ पकड़ लेता है तुम ऐसे वापिस नहीं जा सकती।शालू एक झन्नाटेदार चांटा उसके गाल पर मारती है और कहती है ये मेरे ज़िन्दगी का फैसला है, और मैं तुमसे शादी से इनकार करती हूं। सभी उसके फैसले से स्तब्ध हैं पर उसके पिता रामशरण कहते हैं मैं तुम्हारे साथ हूँ बेटा, तुमने सही फैसला किया है जीवन के इतने महत्वपूर्ण दिन जो शराब के नशे में चूर हो और जिसे अपना होश ना हो, वह मेरी बेटी की जवाबदारी कैसे निबाहेगा, इसीलिये ये शादी अब नहीं होगी। और मुझे इस बात का कोई अफसोस भी नहीं है।
शालू के फैसले का सभी स्वागत करते हैं,ये एक पढ़ी लिखी लड़की के आत्मविश्वास का फैसला है।
पाठकों सीता की तरह अग्निपरीक्षा अब नारी को देने की जरूरत नहींं वह अब अपने सही फैसले लेने स्वयं में सक्षम है।