मापदंड
मापदंड
सूरों की पक्की ,और सितार के तारसप्तक के निषाद समान स्वर । जब गाती है ,तो उसे सुनकर दुश्मन भी वाह बोल उठे। सादादिल,सादगीपरस्त,नाममें भी संगीत घुला है ऐसी,रागिनी दत्ता को बडी़ इच्छा थी,उस बडे़ से लाइव शॉ का हिस्सा बनने की।कब से संघर्ष जारी था।अपनी कला का युट्यूब लिंक भी उनको भेजा था,एक दो दफ़ा तो अपने किसी शॉ में भी आमंत्रित किया था,ता कि वे लोग उसे प्रत्यक्ष सुनकर उसकी प्रतिभाको जानें और मौका दें।
पर उसकी उम्मीद तो तब तूटी,जब उसे अंदर की बात पता चली,कि स्टेज पे जो दिखनेमें सुंदर हो ,ऐसी योग्यताओं को ही मौका दिया गया है ,क्योंकि समयकी माँग ही कुछ ऐसी थी।
आज उसी शॉ का इश्तिहार अखबारमें आया है। कलाकारों की तसवीरों के साथ उनके चमकते नाम ,और फिर शॉ के गानों के विषय और शीर्षक देख कर , उसके मन में एक टीस उठी ।
बड़े अक्षरों में लिखा था:
" लताजी के गानेंं..
वही उनकी प्रतिभा
वही सच्चा सौंदर्य " !!