अम्मा
अम्मा
"बिट्टी तुम्हारे ताऊ आये थे।"अम्मा ने डरते डरते कहा।
"अच्छा, अब की बार कौनसा रिश्ता लाये मेरे लिये ? पिछली बार तो पण्डताई करने वाला लड़का था, इस बार भागवत बांचने वाला होगा, है न?"
"बेटा, समाज मे रह कर समाज से बैर नही बाँध सकते। कब समझेगी मेरी बच्ची।"
"मुझे समझना भी नहीं है अम्मा। चलो खाना खायेंऔर सोयें, आज बहुत थक गई मैं।"
जवान बेटी,अम्मा की आँखों मे नींद कहाँ ? अतीत उमड़ घुमड़ कर आँखो के सामने आ गया, बिट्टी पेट मे थी, सतमासा था, पति की मृत्यु हो गई। बिट्टी हुई जब, तब मां थी। बिट्टी चार की रही होगी मां का भी स्वर्गवास हो गया। भाई, जेठ, देवर सबने धीरे धीरे पल्ला झाड़ लिया।
अलग रह, दूसरों के घरों में खाना बनाकर बिट्टी को पढ़ाया। बी ए बी एड कर बिट्टी, स्कूल मे टीचर है। आज सब अच्छा चल रहा है तो रिश्तेदारों को अपना कर्तव्य बोध हो रहा है। अम्माँ ने करवट बदली।
सुनने मे आया है बिट्टी अपने स्कूल के किसी टीचर को पसंद करती है लेकिन वो ब्राह्मण नहीं है। छोटी जाति का है, हे प्रभु, तू ही कोई रास्ता सुझा।
"अम्मा सो गई क्या ?अपनी दवा नहीं ली, कितनी बार कहा, अब काम छोड़ दो, मैं हूं न, चलो अपनी दवा लोऔर दूध पी लो।"
मेरी सबसे सगी तो मेरी बिट्टी है। रिश्तेदारों का क्या ? कुछ दिन बोलेंगे, फिर चुप हो जाएंगे, मेरे बुरे दिनों में कैसे सब छिटक कर दूर हो गये थे। इनके लिये मैं अपनी बच्ची का दिल तोड़ दूँ ?
"अम्माँ ऐसे क्या देख रही हो मुझे।" अम्मा बिस्तर से उठ बैठी, बिट्टी को अपने करीब बिठाया, प्यार से सिर पर हाथ फेरते हुए बोली- "तेरे साथ जो स्कूल मे टीचर है, क्या नाम है उसका ?"
"कौन गोविंद ?"
"हाँ वही, तुझे पसंद है न, शादी करेगी उससे ?"