दहन किसका
दहन किसका
"जानते हो रावण की भूमिका करने वाला असली ज़िन्दगी में भी रावण ही है, ऐसा कोई अवगुण नहीं जो इसमें नहीं हो।" रामलीला के अंतिम दिन रावण-वध मंचन के समय पंडाल में एक दर्शक अपने साथ बैठे व्यक्ति से फुसफुसा कर कहने लगा।
दूसरे दर्शक ने चेहरे पर ऐसी मुद्रा बनाई जैसे यह बात वह पहले से जानता था। वह बिना सर घुमाये केवल आँखें तिरछी करते हुए बोला "इसका बाप तो बहुत सीधा था लेकिन पहली पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी की भूल कर बैठा, दूसरी ने दोनों बाप-बेटे को घर से निकाल दिया।”
“इसकी हरकतें ही ऐसी होगी, शराबी-जुआरी के साथ किसकी निभेगी?"
"श्श्श! सामने देखो।" पास से किसी की आवाज़ सुनकर दोनों चुप हो गये और मंच की तरफ देखने लगे।
मंच पर विभीषण ने राम के कान में कुछ कहा और राम ने तीर चला दिया, जो कि सीधा रावण की नाभि से टकराया और अगले ही क्षण रावण वहीं गिर कर तड़पने लगा, पूरा पंडाल दर्शकों की तालियों से गुंजायमान हो उठा।
तालियों की तेज़ आवाज़ सुनकर वहां खड़ा लक्ष्मण की भूमिका निभा रहा कलाकार भावावेश में आ गया और रावण के पास पहुंच कर हँसते हुआ बोला, "देख रावण... माँ सीता और पितातुल्य भ्राता राम को व्याकुल करने पर तेरी दुर्दशा... इस धरती पर अब प्रत्येक वर्ष दुष्कर्म रूपी तेरा पुतला जलाया जायेगा।"
नाटक से अलग यह संवाद सुनकर रावण विचलित हो उठा। वह लेटे-लेटे ही तड़पते हुआ बोला, "सिर्फ मेरा पुतला! मेरे साथ उसका क्यों नहीं जिस कुमाता के कारण तेरे पिता मर गये और तुम तीनों को...."
उसकी बात पूरी होने से पहले ही पर्दा सहमते हुए नीचे गिर गया।