बेटियां विदा हो जाती है।।।।
बेटियां विदा हो जाती है।।।।
बेटियाँ विदा हो जाती हैं,
पिता के आँगन से,
अपने पसंदीदा कोने को अलविदा कहकर।
बेटियाँ नए आँगन में, अपना कोना ढूंढती हैं।
बहने विदा हो जाती हैं,,
भाइयो के कलाई में,
गुज़रे साल की राखियों को छोड़कर,
हर बंधन को तोड़कर।
बेटियाँ विदा हो जाती हैं।
बेटियाँ विदा हो जाती हैं,,
माँ के सुने आँचल में चावल उछालकर,
महावर लगे कदमों से।
बेटियाँ विदा हो जाती हैं।
पीछे मुड़कर भी नहीं देख पाती,,,,
रिवाज़ ही कुछ ऐसे है,
बेटी दरवाज़े के उस पार जाते ही।
माँ बेहोश हो जाती हैं,,,,
आँखों में आँसुओ का सैलाब उमड़ पड़ता है,
जिसे शायद रोका गया था,
शादी के तैयारियों के शुरुआत से ही।
पिता पता नहीं कहां हैं?
किसीने कहाँ वो देखो,,
घर के पीछे एकांत में रो रहे है।
याद कर रहे हैं, अपनी प्यारी बेटी का बचपन,
और सोच रहे हैं,,,,।
आखिर क्यों बेटियाँ विदा हो जाती हैं?
आज सबने देख लिया,,,
बहुत भयानक है ये नज़ारा।
आज मैंने भी देख लिया,
एक विशाल, मजबूत पिता का।
इस कदर कमजोर हो जाना।
न जाने क्यों बेटियाँ विदा हो जाती हैं।