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Shobhit शोभित

Inspirational

5.0  

Shobhit शोभित

Inspirational

भगवान् हर जगह है

भगवान् हर जगह है

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दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं।


मुझे हर दिन सुबह मंदिर जाने की आदत है। मुझे लगता है कि यह मुझे पुरे दिन एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।


आज सुबह ही मैंने देखा कि मेरी पड़ोसन, श्रीमति सुलोचना अग्निहोत्री, अपने बेटे के साथ हाथ में मिठाई का डिब्बा लिए जा रही थी।


मुझे लगा कि आज उनके बेटे का जन्मदिन या ऐसा ही कोई दिन होगा आखिर हम मध्यम वर्गीय परिवार कुछ खास दिनों में ही एक किलो मिठाई लेकर मंदिर जाते हैं।


मैंने मंदिर में पूजा की पर वो मुझे अपने आस पास नहीं दिखी। मैं उन पर निगाह नहीं रख रहा था पर एक पड़ोसी की तरह उनकी चिंता थी बस। असल में उत्सुकुता का एक कारण यह भी था कि मुझे पता करना था कि आज कोई खास दिन है क्या और फिर उनको उसकी बधाई देनी थी।


मंदिर से बाहर निकलते समय, मैंने उनको मंदिर में घुसते देखा पर वो डिब्बा अब उनके पास नहीं था। मैं यह देखकर थोडा मायूस हो गया। बमुश्किल अपनी भावनाओं को छुपाते हुए मैंने उनसे पुछा कि


“नमस्कार, आज कोई खास दिन है क्या?”


“नमस्कार, हाँ आज मेरे बेटे का जन्मदिन है,” उन्होंने अपने बेटे की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, “पर आपको कैसे पता चला?”


“बधाई हो बेटा, ख़ूब तरक्की करो।” बेटा ने मुस्कुराते हुए मुझे धन्यवाद किया, मैंने फिर सुलोचना जी की तरफ़ ध्यान दिया, “असल में मैंने आपके हाथ में मिठाई का डिब्बा देखा था, तो मुझे लगा था आज सुबह सुबह ही मुँह मीठा हो जायेगा।”


“ऐसा क्या? वो भगवान के लिए था और मैंने उनको दे दिया। आप तो शाम को घर आईये पार्टी में।”


मेरे उनकी बात कुछ समझ नहीं आ रही थी, “पर आप तो अभी मंदिर में आई ही हैं, पूजा भी नहीं की! तो अपने उन्हें कब दे दी? वो भी पूरा डिब्बा?”


“देखिये मेरा मानना है कि भगवान हर जगह है। हर इन्सान में भगवान का अंश है। मैंने तो दरवाजे पर कुछ गरीब बच्चे देखे और मुझे लगा कि जैसे नटखट कन्हैया ही जैसे साक्षात् मेरे सामने हों और मैंने मिठाई उनको दे दी।”


उनकी बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। वो बिलकुल सही थीं और यह बात मेरे दिल को झंकझोर गयी थी।


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