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Anamika Khanna

Crime Drama

2.5  

Anamika Khanna

Crime Drama

कश्मकश [ भाग - 4 ]

कश्मकश [ भाग - 4 ]

3 mins
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रिया को अक्सर आधी बेहोशी की हालत मे ही रखा जाता था। उसके खाने पीने की चीज़ों में हल्की बेहोशी की दवा मिला देते थे वो लोग जिसकी वजह से रिया बोध और बेहोशी के बीच झूलती रहती थी।हर रात रोहित उसे नींद का इन्जेक्शन दे देता जो उसे अगली सुबह तक बेसुध रखता था। उसे उन लोगो ने किसी वीरान टापू पर रखा था।पर वे रिया पर कोई अत्याचार नही करते थे बल्कि उसका अच्छे से खयाल भी रखते थे। उनकी दुश्मनी तो सिर्फ सहगल से थी।

     

आज सुबह जैसे ही कल रात के इन्जेक्शन का असर समाप्त हुआ, रिया ने धीरे से आँखें खोली।उसने रोहित और उसके बाॅस के कदमों की आहट सुनी। वे तेज़ कदमों से उसके कमरे की ओर बढ रहे थे मानो घबराये हुए हों। रिया ने आँखें बंद कर ली और बेहोशी का नाटक किया।

"रोहित, लगता है टापू की ओर कोई नाव आ रही है। वो कौन लोग है और उनके इरादे क्या है कुछ पता नही। लड़की को यहाँ रखना ठीक नही। ये अब भी बेहोश है। इस से पहले की इसे होश आ जाए तुम इसे पुराने बँगले ले जाओ।" - बाॅस ने कहा।

 रोहित कार चला रहा था और पीछे की सीट अबोध होने का अभिनय कर रही रिया का जागृत मन उसकी कैद से भागने की योजना बना रहा था। अचानक तेज़ बारीश होने लगी। रोहत ने बँगले की गेट के सामने कार रोकी। बँगला थोड़ी ऊँचाई पर था। गेट से पैदल ही चढाई वाला रास्ता तय किया जा सकता था। बँगले के चारो ओर घना जँगल था। कार से निकलते ही रिया ने कुछ दूर जँगल मे कुछ लोगो को देखा। वह उनकी की ओर भागी। रोहित ने लपक कर उसे पकड़ लिया और खींच कर पेड़ो की ओट में ले गया। उन लोगो का ध्यान आकर्षित करने के लिए रिया चिल्लाई पर तेज़ बारिश की वजह से कोई सुन न पाया। रोहित रिया का मुँह बंद करना चाहता था किन्तु उसके दोनो हाथ तो रिया के हाथो को जकड़े हुए थे। अगर वो एक हाथ से उसका मुँह बंद करता तो शायद वो अपने हाथ छुड़ा कर भाग जाती। वह अपनी पूरी ताकत लगाकर चीख रही थी। उसे रोकना ज़रूरी था। रोहित ने अपना मुँह रिया के होंठो पर कस के दबा दिया। एक पल के लिए मानो रिया का दिल जैसे थम सा गया। उसकी चीखें गले में ही अटक गई। उसने आज तक किसी पुरूष के चुम्बन का अहसास न किया था। रोहित के होंठों के स्पर्श ने मानो उसमें कोई मादकता भर दी हो। इतनी मादकता तो उन नशे की दवाओ और बेहोशी के इन्जेक्शनों में भी न थी जो रिया को पिछले कुछ दिनों से लगातार दिए जा रहे थे। रिया का सारा प्रतिरोध समाप्त हो गया मानो उस अपरिचित एहसास ने उससे आत्मसमर्पण करवा लिया हो। रोहित को हर कीमत पर रिया को भागने से रोकना था। इस ड़र से वह रिया को कस के पकड़े हुए था। परन्तु रिया की ओर से अब कोई प्रतिक्रिया नही हो रही थी। वह तो पूरी तरह से सुन्न खड़ी थी मानो उसे किसी सम्मोहन मन्त्र ने अपने पाश में बाँध लिया हो। वह साँस नहीं ले पा रही थी। इसका कारण जितना उसके मुख पर रोहित के मुख का दबाव था उतना ही उसके अन्दर उठ रही अंजानी भावनाओ का तूफान भी था। रिया की बोझल पलकें अपने आप बंद हो गयी। उसकी बंद पलकों के किनारे से एक आँसू बह निकला।

   

जैसे ही रोहित ने उन लोगो को दूर जाते देखा उसने रिया को छोड़ दिया। रिया का अबोध शरीर रोहित की छाती पर आ गिरा।

"आँखें खोलो रिया....ये क्या हुआ तुम्हें?"

रिया के गालों पर थपकियाँ देकर उसे होश में लाने की कोशिश करते हुए रोहित बोला। उसके लिए ये समझ पाना मुश्किल था कि रिया को क्या हुआ है। 


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