Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

प्यार की हथकड़ियाँ

प्यार की हथकड़ियाँ

5 mins
572


बसंत आँफिस से थका हारा घर आया और सोफे पर सिर टिकाये आँखें बंद पीछे की ओर टेक लगा ली और बोला "आज बहुत काम था आँफिस में।" नूरी चाय ले आई बसंत ने जैसे ही चाय ली, नूरी तुम्हें कितना ही अच्छा ला दो पहनोगी बेकार पूराना ही, नूरी ने ध्यान दिया।

वो पूराना हल्दी लगा गाउन पहने हुए थी जिसे बसंत बहुत बार मना कर चुका था। वो नया आने जाने के लिये रख दिया। नूरी को पता था कि ऐसा ही होता था, बसंत को गंदे कपडे़ पसंद नहीं थे। 


बसंत ने कहा आने जाने के लिये भी लेने को किसने मना किया एक और ले लेती। एक तो थके हारे घर आओ और एक तुम ये सब करके परेशान करती हो। अगर मेरे साथ कोई दोस्त आ जाता तो इतना गंदा हल्दी, घी के निशान लगे देखता क्या सोचता ?

वो भी बात रहने दो अगर तुम अच्छा पहनोगी कि तो खुद तुम्हें अच्छा महसुस होगा। टिप-टाप रहा करो नूरी। बात खत्म हो गयी। 

    

कुछ दिन बाद बसंत आया हँसते हुये बोला, क्या बात बडे़ खुश हो नूरी ने भी पूछा .."हाँ नूरी जल्दी से तैयार हो जाओ हम डिनर पार्टी करने बाहर जा रहे है ,सौरब और उसकी पत्नी आते ही होगें, साथ जा रहे है एक दोस्त की पार्टी है।"

अचानक प्लान बना, कल इतवार भी है तो आँफिस की भी कोई टेंशन नहीं। पहले बताना था ,तुम जाओ, इतनी जल्दी नहीं जा सकती नूरी ने कहा। बसंत बोला, समय नहीं मिला नहीं तो बताता। सौरब और उसकी पत्नी रूबी भी है, क्या बहाना करोगी, अच्छा नहीं लगता।

जाओ तैयार हो जाओ नूरी तैयार होने चली गयी और साड़ी पहनने लगी, बसंत क्या पहनोगी, ये साड़ी कितना फैशन पुराना है, वो नयी कहाँ है नेट वाली जो कुछ दिन पहले ही दिलायी थी। वो पहन लो सौरब आता ही होगा। नूरी का चेहरे का रंग उड़ गया। जाओ खडी़ क्यूंं हो? 

वो ब्लाउज नहीं सिलने दिया, सोचा सूमी कि शादी में पहनूंगी । बसंत का गुस्सा  सातवे-आसमान पर था। सुमी की शादी को आठ महिने है। तुम्हारी नये कपड़े संभालने कि आदत कब जायेगी।

   

कोई रूपये की कमी नहीं, हर बार तुम कुछ ऐसा करती हो, वहाँ सब एक से बढ़कर होगें, मैं नहीं चाहता तुमको ये लगे कि मैने अच्छा नहीं पहना। ध्यान रखा करो,चलो आज सूट पहन लो जो शादी की सालगिरह पर दिलाया था। नूरी बहुत सुंदर थी लाल रंग में वो बहुत सुंदर लग रही थी, बसंत तारीफ किये बिना ना रह सका...और गाने लगा ।

ये चाँद सा रोशन चेहरा, तारीफ करूँ क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया नूरी मुस्कुरा दी।

पार्टी बहुत अच्छी रही। पर बसंत को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे समझाये कि आज के तौर तरीके के हिसाब से रहना पड़ता है।


सुबह अचानक फोन आया कि नूरी के मामा मामी रात को आ रहे है रात को रूकेगें इस शहर में काम है। रात को बसंत जल्दी आ गया, बाजार से नाश्ते खाने का सामान भी ले आया। सबने अच्छे से बातें की। नूरी ने खाना खिलाने के लिये डाइनिंग टेबल पर बुलाया, सामने स्टील के बरतन में खाना लगा देखकर बसंत का चेहरा फीका पड़ गया। सबको बैठा कर, सलाद लेने के बहाने से रसोई में आया। नूरी तुम्हारा ध्यान कहाँ है ? क्यूं क्या हुआ? नूरी हमारे पास दो डिनर सेट है और तुमने घर की प्लेट में खाना दिया, अगर नहीं होता तब बात अलग थी।

वो मामा, मामी तो घर के ही है उनसे क्या दिखाना, वैसे भी मैने सोचा अब कोई रिश्तेदार तो आ नहीं रहा डिनर सेट ऊपर स्लेप पर रख दिया था। कोई मेहमान खास आयेगें तो उतार लेंगे। नूरी ने जवाब दिया, बसंत ने कहा पर वो पहली बार हमारे घर आये है। ये जरूरी सामान ऊपर रखने कि जरूरत क्या थी? और ये तो घर के लिये भी चाहिये होता है। तुम्हें कौन समझाये कहकर बसंत उनके साथ खाना खाने लगा पर मन से खुश नहीं था।

   

नूरी किसी को देने के लिये सस्ती चीज़े लाती उसे फ़िजूल लगता किसी पर खर्च करना। बसंत नाराज़ हो जाता और नये सामान लाकर देता। समझाता जब हम घर में प्रयोग नहीं कर सकते तो दूसरों को कैसे दे सकते है। नूरी नया सामान अलमारी में रख देती और पुराने बरतन प्रयोग करती। बसंत को अच्छा नहीं लगता पर नूरी बदलना नहीं चाहती थी। बातचीत कम हो गयी , नूरी परेशान हो गयी लगा रिश्ता हाथ से छूट रहा है।

बसंत और नूरी में बोल चाल नहीं हुई दोनों अपने भी बात पर अड़े थे। दोनों सोच रहे थे पहले वह बोलेगा उसकी ग़लती है इसी तरह एक दो दिन बीत गए ।दोनों में अहम था।           

अगले दिन अचानक बसंत के जन्मदिन पर उसके सब सौरब और रूबी सरप्राइस देने के लिए उनके घर आ गए। डोर बेल बजने पर बसंत ने दरवाज़ा खोला और चौंक गया ! अरे बताया तो होता। हैप्पी बर्थडे। सरप्राइस.....रूबी अंदर नूरी से मिलने चली गई। कहां है नूरी ?

नूरी अचानक देख कर चौक गयी अरे आप दोनो ने तो सरप्राइज कर दिया।

नूरी रसोई में चाय बनाने चली गई। रूबी चेहरा उदास देखकर समझ गयी और नूरी से बार बार पूछने पर बताया, सब साथ बैठे और दोनो को समझाया, आज बंसत का जन्मदिन है दूरी अच्छी नहीं।


पति- पत्नी में से किसी कि हार, जीत नहीं होती या तो दोनो हारते है या दोनो जीतते है। दोनो को अपनी ग़लती का अहसास था। बसंत ने वादा किया वो बार बार टोकेगा नहीं ,नूरी भी बंसत की बातों को मानने को तैयार थी। अब से वो नयी चीज़े संभाल कर नहीं रखेगी। सोच बदलेगी। दोनो अपनी ग़लती मान रहे थे ।

सौरब ने कहा ग़लती दोनो ने कि है तो सजा भी दोनो को मिलेगी। दोनो के हाथों को एक दूसरे के हाथो में पकड़ा दिया और बोले...ये है प्यार कि हथकड़ियाँ छुटेगीं नहीं। छोटी छोटी बातें अहम होने से बड़ी हो जाती है। दोनो में समझदारी हो तभी रिश्ते की नींंव मजबूत होती है। 

समझाने वाले अच्छे दोस्त हो तो टूटे रिश्ते जुड़ जाते है, और वही भड़काने वाले हो तो रिश्ते टूटते देर नहीं लगती। दोस्तों पति ,पत्नी का रिश्ता 'मैं 'नहीं होता 'हम 'होता है। जहाँ 'मैं 'आया रिश्ता कमजोर हो जाता है। मिलकर मकान को घर बनाते है। वो पहले बोले या मैं ये नहीं होना चाहिये।


सारी जिंदगी तो लड़कर नहीं रह सकते, इसलिये बात कोई भी करे रिश्ता दोनो का ही मजबूत होता है। ये प्यार की हथकड़ियाँँ है। पूरी जिंदगी प्यार के बंधन मे बंधने कि सजा।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational