Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

बारिश का बोझ

बारिश का बोझ

2 mins
7.3K


''मेरा कंकाल सा बना शरीर और कितना बोझ उठा सकता है,उफ़! तगारी बेहद भारी  हो गयी है आज , उठ

ही नहीं रही है , क्या सारा बोझ ईश्वर ने मेरे लिए ही रख छोड़ा है ? एक और जवान हो रहे अर्धविक्षिप्त बेटे

का बोझ तो दूसरी और  उसकी माँ,जो अपने बेटे को यूँ देख देख दिन भर रोती  रहती है इस गम में और इसी

ग़म में रोग भी लगा बैठी, अपना ध्यान रख सकूँ या ना रख सकूँ मगर  उन दोनों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी

है मेरे लिऐ! मन नहीं लगता मज़दूरी पे मगर क्या करूँ,ना  करूँ तो हमारा पेट कौन भरेगा पेट … पेट से पहले

तो दवा के पैसे बहुत ज़रूरी है!'' वो मंथन करता हुआ अपनी तगारी उठाने लगता है मगर असफल…… ''भला हो

सेठ का जिसने मुझे रोजगार दिया वरना इस उम्र और हालत में मज़दूरी मिलना तो दूर कि बात थी !'' वो पुनः

अपनी तगारी उठाने का असफल प्रयास करता है !

''काका ! तगारी थोड़ी खाली  कर लो , हमेशा जितनी जितनी मत भरो ! रात को हुई बारिश में रेत बहुत

भीगी हुई है इसलिए भार ज़्यादा हो गया है !'' साथी मज़दूर  बोला !

'' हाँ ! ये तो सोचा ही नही, तगारी थोड़ी खाली कर लूँ ठीक रहेगा  , क्या  बोझ कम लिखे है मेरे भाग्य

में जो बारिश का बोझ और उठाना बाक़ी था !'' बूढ़ा भीगी रेत को मुट्ठी में भरता आसमा तकता बोला !


Rate this content
Log in