जवाब
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"दादी, मम्मी, पापा, कहाँ हो सब... " शीतल ने काफी तेज आवाज़ में चिल्लाकर कहा।
"क्या हुआ बेटा .....क्यों घर सर पर उठा रखा है" कहते हुए सब अपने - अपने कमरों से निकल कर शीतल के आस - पास जमा हो गये।
" क्या हुआ बेटा," रेणुका ने शीतल से पूछा।
"मम्मी पता है दादी को दो लाख रूपये का आर्डर मिला है " चहकते हुए शीतल ने कहा।
"दो लाख का "आर्डर ....मतलब..." रेणुका हैरत से पूछा।
"क्या कह रही हो बेटा, दादी को किसका आर्डर मिला है। वो कोई बिजनेस तो करती नहीं कि आर्डर मिलेगा ..." शुभांकर ने अपनी बात रखी।
"वही तो, पापा, आपको नहीं पता, दादी कमाल के पोटली बैग बनाती है। मेरे पिछले जन्मदिन पर उन्होंने मुझे जो पोटली बैग दिया था। वो मेरी सहेलियों को बहुत पसंद आया था। जब मैनें दादी को बताया तो उन्होंने कहा सब से आर्डर ले लो मैं बना दूँगी। मैनें ऐसा ही किया। फिर मैनें उन सब की फोटोग्राफ अपनी एक साइट बना कर उस पर डाल दिए और कई कम्पनियों को भी भेज दिए और देखो ना आज ये दो लाख का आर्डर मिला है दादी को, जो उन्हें अगले छह महिनों में पूरा करना है।"
"पता है पापा, काफी समय से पोटली बैग बना रही थी दादी। कमाल की सफाई और करीगरी से बनाती है। वाह दादी, मजा आ गया। अब तो मेरी फीफ्टी परसेंट की पार्टनरशिप पक्की दादी का हाथ चूमते हुए शीतल ने कहा।
"बिल्कुल बेटा, तुमने तो मुझे जीने का एक मकसद दे दिया मेरी लाडो " दादी ने शीतल को गले लगा लिया।
"अरे इतना कुछ कर रही थी बता ही देती दोनों दादी - पोती " रेणुका ने कहा।
"सीक्रेट रखकर सरप्राइज देने का अपना मजा है मम्मा...." शीतल चहकते हुए बोली।
" बेटा, ये तो तुम्हारी छह महीने पहले कही उस बात का जवाब है जब तुमने कहा था आपको आता ही क्या है? तभी मैनें ठान लिया था कुछ करके दिखाऊँगी। शायद तुम नौकरी करती हो तो हर एक को पैसों से तौलती हो ।
तो चलो अब हम भी बन गये बिजनेस वूमन ...., " मुस्कुराते हुए धीरे से भँवरी देवी कहा और अपने कमरे की ओर बढ़ गई।