अनकही दास्तान Part-2
अनकही दास्तान Part-2
"निक्की, एक्चुअली बात ये है कि बबलू की बाॅल बीस-बाईस दिन पहले मेरे हाथ से गुम हो गई थी और वो उसी के बीस रूपये और एक दिन का इन्ट्रेस्ट दस रूपये देने के लिए मुझे वार्निंग दे रहा था।" स्कूल से घर वापस लौटते समय विकास ने निक्की को बताया।
"जब बाॅल गुम हुई, तब तुम लोगों के साथ बबलू भी खेल रहा था क्या ?" उसकी बात सुनकर निकिता ने सवाल किया।
"हाँ।"
"तब तो तुझे उसको पैसे देने की जरूरत ही नहीं हैं क्योंकि साथ खेलते हुए कोई चीज गुम हो जाए या टूट-फूट जाए तो कोई किसी से पैसे नहीं माँग सकता है।"
"ये बात मुझे भी पता है पर बबलू को पैसे देने पड़ेंगे क्योंकि वो काफी दिन पहले ही कह चुका था कि उसका बैट जिस किसी के हाथ से टूटेगा या बाॅल गुम होगी, उसे पूरे पैसे अगले दिन देने होंगे नहीं तो वो इन्ट्रेस्ट भी लेगा।
"उस मोटे ने ऐसे गंदे रूल्स बना रखें हैं तो तू खेलता क्यूँ हैं उसके साथ ?"
"यार, अब नहीं खेलता हूँ उसके साथ, पर जो ग़लती मुझसे हो चुकी हैं उसकी तो भरपाई करनी ही पड़ेगी न ?"
"हाँ, अब तू उसके गंदे रूल्स जानने के बाद भी उसके साथ उसके बैट-बाॅल से खेला तो भरपाई तो करनी ही पड़ेगी। तू एक काम कर, अपनी मम्मा को अपनी ग़लती बता दे और उनसे ट्वेंटी रुपीस लेकर उस मोटे के मुँह पर मार दे और उसकी धौस-धमकी से छुटकारा पा ले। वो तुझे धमकी देता है न तो मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता। वो जब भी ऐसा कुछ करता है न, तब कसम से मेरा मन उसका सर फोड़ देने का होता है पर मैं क्या करूँ, तुझे बार-बार मना करने के बाद भी तू उसके किसी न किसी चक्कर में फँस हीं जाता है।"
"साॅरी यार, ये लास्ट टाइम है। इस बार उससे छुटकारा मिल गया तो मैं उससे हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो जाऊँगा, पर समझ में नहीं आ रहा है कि उससे छुटकारा मिलेगा कैसे ?"
"मैंने तुझसे कहा न कि अपनी मम्मा को अपनी मिस्टेक बता दे और उनसे पैसे लेकर उस मोटे को दे दे।"
"निक्की, मैं अपनी मम्मा को ये बात नहीं बता सकता हूँ क्योंकि उन्होंने मुझे पहले ही बबलू से दूर रहने की वार्निंग दे रखी है। उन्हें पता चलेगा कि मैं उनकी वार्निंग के बाद भी बबलू के साथ खेलने गया था तो वे मेरी जमकर पिटाई करेगी।"
"तो तू अपने पापा को बता दे। तेरे पापा तो बहुत सीधे हैं और तुझसे बहुत प्यार भी करते हैं।"
"हाँ, लेकिन उनके जेब में पाँच रूपये भी नहीं रहते। वे ट्वेंटी प्लस इन्ट्रेस्ट के टेन रूपिस कहाँ से देंगे ?"
"तेरे पापा दिन-रात इतनी मेहनत करते हैं फिर भी उनकी जेब में पाँच रूपये नहीं रहते, क्यूँ ?"
"वो सिर्फ काम करते हैं, पैसे का हिसाब और लेन-देन बड़े पापा के पास होता है और बड़े पापा मुझे एक पैसे नहीं देनेवाले हैं क्योंकि वो मेरी स्कूल की फ़ीस, पेन-कॉपी तक के लिए पैसे नहीं देते तो मेरी ग़लती की भरपाई के लिए कहाँ पैसे देंगे। उल्टे उन्हें पता चलेगा तो मेरे पापा से कहेंगे, 'बीवी की बात मानकर पढ़ा अपने बेटे को बड़े लोगों के बच्चों के स्कूल में, अभी तो छोटे-मोटे ही लफड़े कर रहा है। आगे देखना बड़े-बड़े कांड करेगा।' वो तो हमेशा से मुझे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के खिलाफ थे, पर मेरी मम्मा ने मेरी फ़ीस, यूनिफाॅर्म और पेन-कॉपी की रिसपांसब्लिटिज अपने कंधों पर लेकर मेरा इस स्कूल में एडमिशन करवाया और इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए वे घर का काम करने के बाद काॅलोनी के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं। निक्की, तू नहीं समझ सकती यार कि मुझे उनके हर दिन गुल्लक में डालने के लिए दिए जानेवाले टेन रूपिस बबलू को देने का मुझे कितना दुख होता है।"
"यानि, तू टेन रूपिस पर डे उस मोटे को दे रहा है ?"
"हाँ।"
"कब से ?"
"बीस-बाईस दिन से।"
"अरे, लेकिन तुझे उसे तो ट्वेंटी रूपिस ही देना था न ?"
"हाँ, लेकिन ये ट्वेंटी रूपिस बाॅल गुम होने के अगले दिन एक साथ देने थे जो मैं न दे पाया, क्योंकि मेरे हाथ में हर दिन टेन रूपिस से ज्यादा नहीं आते हैं, इसलिए बबलू मुझसे हर दिन टेन रूपिस इन्ट्रेस्ट ले रहा है और ऊपर पूरे पैसे एक साथ देने के लिए हर दिन बदतमीजी भी करता है।"
"डोंट वरी, अब मुझे पता चल गया है न, इसलिए अब वो तुझे परेशान भी नहीं कर पाएगा और तुझसे मुफ्त के टेन रूपिस पर डे भी वसूल नहीं कर पाएगा। मैं कल ही उसकी कम्प्लेन्ट स्कूल के प्रिंसिपल से कर दूँगी, फिर देखना कि उस मोटे की कैसी बोलती बंद होती है।"
"प्रिंसिपल उसका कुछ नहीं कर पाएँगे, क्योंकि बबलू का बाप उन्हें साल में तीन-चार बार घर बुलाकर पार्टी देता है।"
"तो फिर क्या करें ? तू कब तक उस मोटे को अपनी मम्मा की मेहनत की कमाई लुटाता रहेगा। मेरे पास भी कभी एकसाथ ट्वेंटी रूपिस नहीं होते हैं, नहीं तो तेरे हाथ में आने वाले टेन और मेरे पास के ट्वेंटी रूपिस मिलाकर उस मोटे से तुझे छुटकारा दिला देती। उसके सामने मैंने गुस्से में कह तो दिया कि अपना गुल्लक तोड़कर पैसे दे दूँगी, पर तू भी जानता है कि मैंने अपना गुल्लक तोड़ा तो मेरी मम्मी मुझे तोड़ देंगी। पर तू चिंता मत कर मैं कल तक कोई न कोई आइडिया जरूर निकाल लूँगी। अब यहाँ से हम दोनों के रास्ते अलग हो रहे हैं, इसलिए तू अपना रास्ता पकड़ और मुझे अपने रास्ते से जाने दे, ठीक है ?"
"ठीक है, बाय।"
"बाय।" कहकर निक्की मेन रोड से आगे बढ़ गई और विकास कुछ देर तक उसे जाते हुए देखने के बाद एक पतली गली की ओर मुड़ गया।