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Dipesh Kumar

Abstract Tragedy Others

4.6  

Dipesh Kumar

Abstract Tragedy Others

जब सब थम सा गया (छठा दिन)

जब सब थम सा गया (छठा दिन)

4 mins
386


लॉक डाउन छठा दिन

30.03.2020


प्रिय डायरी,


रात को मैं कहने को तो सो गया था,लेकिन 10 मिनट बाद ही नींद खुल गयी थी।मैंने सोचा की क्या कारण हैं कि नींद नहीं आ रही हैं तो मैं कमरे में टहलने लगा।सुबह के 4 बजे मैं नीचे गया तो लगभग सब कोई उठने लगे थे।सुबह 4 बजे लोग मुझे नीचे देख कर पूछने लगे क्या बात हैं इतनी जल्दी क्यों उठ गए,तो मैंने कहा मुझे रात भर नींद ही नहीं आई।उसके बाद मैं पानी पीकर वापस ऊपर अपने कमरे में आ गया। 5 बजे के लगभग मैं सो गया और नतीजा ये हुआ की 7 बजे मैं फिर उठ गया।फिर रोजाना की दिनचर्या करते हुए खाली हुआ। माँ और चाचीमाँ आटा पिसवाने के लिए गेहू साफ़ कर रही थी।उसी बीच हम सब बच्चो के साथ खेलने और बाते करके हँसने लगे।थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे में आया और फ़ोन उठा कर संदेश देखने लगा,तो एक ही चीज़ छाए हुए हैं कोरोना बस उसके बाद समाचार मैं देखा की जो लोग उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ जा रहे थे उन्हें 14 दिन के आइसोलेशन मे रखा जायेगा।ये खबर सुनकर मुझे अच्छा लगा क्योंकि जाने अनजाने में कौन संक्रमित हैं पता नहीं चल पाता यदि ये सब अपने गाँव में पहुच जाते।हालांकि केंद्रे व राज्य सरकार अपनी तरफ से भरपूर कोशिश कर रही थी ,इसी बीच खबर देखता हूं कि संक्रमीत लोगो की संख्या अब स्थिर थी या कम थी।जो की एक अच्छी खबर थी।

12 बजे के लगभग मुझे लगा की क्यों न कोई प्रेरणादायक सिनेमा देखा जाये जो की मेने कल ही सोच लिया था। सिनेमा देखने के लिए मैं कंप्यूटर के माध्यम से एक बहुत ही अच्छी सिनेमा जो की लगभग सभी लोगो को पसंद हैं स्टार्ट कर दिया।सिनेमा का नाम - भाग मिल्खा भाग जो की हमारे देश के बहुत ही होनहार धावक मिल्खा सिंह जी की जीवनी पर आधारित हैं।सिनेमा बहुत ही प्रेरणादायक हैं,और लॉक डाउन के समय ये बहुत ही अच्छा विकल्प हैं।सिनेमा समाप्त होने के बाद मैं कुछ समय के लिए सो गया।जब उठा तो 5 बज रहे थे, फिर क्या मैं उठा और नीचे आ गया।नीचे टीवी चल रही थी और मेरी नजर स्वस्थ मंत्रालय द्वारा प्रेस कांफ्रेंस पर पड़ी और मैं ध्यान से देखने लगा।समाचार संतोषजनक था कि प्रधानमंत्री द्वार लॉक डाउन का नतीजा बहुत हद तक सकारात्मक परिणाम दे रहा था।

जानकारी के अनुसार कम्युनिटी स्प्रेड यानी तीसरे स्टेज में नहीं गया क्योंकि डॉक्टरों और पुलिस के प्रयासों से बहुत हद तक इस संक्रमण को रोका गया।खबर ने बहुत हद तक मेरे मन को सुकून दिया,और फिर में मुख्य द्वार के पास लगे गमलो और पौधों में पानी डालने चला गया।मैं एक बात का दावा करता हूँ की हरे पेड़ और पौधों और फूलों को देख कर सबका मन प्रसन्न हो जाता हैं।


शाम को फिर पूजा पाठ और माँ की आरती के बाद में अपने मझले भाई रूपेश से बात करने लगा।थोड़ी देर मैं खबर आई की हमारे नीमच में एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति आया था,जो आज से 8 दिन पहले किसी सामूहिक कार्यक्रम समीलितहुआ था। 5 दिन से वो उज्जैन में एडमिट था और आज मृत घोषित हो गया।इस खबर ने सबको हिला कर रख दिया,प्रसाशन ने तुरंत ही उस कॉलोनी को सील कर लिया और जिनके संपर्क में वो व्यक्ति आये उनको जांच के लिए घर पर ही आइसोलेट कर दिया।मैंने सोचा की भगवान् सबको सलामत रखे और कोई भी व्यक्ति संक्रमित न निकलेसबने फिर एक दूसरे से निवेदन किया कि सब ध्यान रखे की कोई व्यक्ति बाहर से आने पर बिना साफ सफाई के किसी के संपर्क में न आये।फिर फलहार करके मैं अपने कमरे में आकर मोबाइल दूर रखकर कुछ पढ़ने लगा। 11:30 बजे मैं अपने बिस्तर पर आ गया और मोबाइल पर समाचार देखने लगा। व्हाट्स एप्प पर मैं एक वीडियो देख रहा था,जो मुझे बहुत ही अच्छा लगा उस वीडियो में किन्नर समाज के लोग एक दूसरे के घर अनाज और जरुरी सामान पंहुचा रहे थे।लोग इस समाज के लोगो से क्या उम्मीद रखते मुझे नहीं पता लेकिन इनकी दुआओं की आस सब रखता हैं।तो ये इस सेवा के रूप मे दुआ ही तो दे रहे थे, खबर देखते देखते कुछ देर बाद मैं कब सो गया पता ही नहीं लगा।



इस तरह लॉक डाउन का छठा दिन भी समाप्त हो गया लेकिन कहानी अभी अगले भाग में जारी हैं......💐


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