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मवाना टॉकीज भाग 11

मवाना टॉकीज भाग 11

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वहाँ एक कुर्सी पर बैठ कर धैर्यपूर्वक अभय ने सोमू की सारी रामकहानी सुनी। सोमू ने उसे बताया कि पहले दिन कैसे उसे अपने से तीन कुर्सी दूर एक प्रेत जैसी जली महिला दिखी थी जिसने उसपर हमला भी किया था। अभय ने उठ कर थोड़ी देर उस कुर्सी का निरीक्षण किया जिसपर महिला के बैठे होने का दावा सोमू कर रहा था। वह कुर्सी धूल मिट्टी से पटी हुई थी । थोड़ी देर उसका निरीक्षण करके सोमू को लेकर अभय प्रोजेक्शन रूम में आ गया। वहाँ दीवार में बनी आलमारी में सस्ता सा ताला लगा हुआ था जिसके भीतर प्रोजेक्टर होने की बात सोमू कह रहा था और जिसकी चाबी मनोहर के पास थी। अचानक अभय के मोबाइल की रिंग बज उठी। फोन परिवहन विभाग की ओर से आया था । mzc 5945 नंबर की सेडान कार डॉ मधुसुंदर चटर्जी के नाम रजिस्टर्ड है इतना सुनते ही अभय ने फोन काट दिया। अब उसके दिमाग में कई संशय उठ रहे थे। आखिर डॉ चटर्जी कहां गए? फिर कुछ सोचकर अभय ने जोरदार आवाज में कहा, देखो सोमू! तुम्हारी बात का कोई सबूत नहीं है सिवाय डॉ की कार के! बाकी बातें केवल कपोल कल्पित हैं। जिस कुर्सी पर तुम महिला को बैठा बता रहे हो वह धूल से अटी पड़ी है। तुमने एक बार फिर मेरा टाइम वेस्ट किया है। तुम्हे डॉ चटर्जी की कार क्या दिख गई ,तुम्हारे खुरापाती दिमाग ने इतनी बड़ी कहानी सोच डाली। आइंदा अगर तुम्हारी परछाई भी पुलिस स्टेशन के आस पास दिखी तो मुझसे बुरा और कोई नहीं होगा। इतना कहकर अभय ने सोमू का कॉलर पकड़ लिया और लगभग धकेलता हुआ जीप तक ले आया, लेकिन वह यह बात नहीं जानता था कि मवाना टॉकीज से दो जोड़ी भयानक और रहस्यमय आँखें उसे घूर रही हैं।
सोमू आहत और अपमानित होकर लौट आया लेकिन डॉ चटर्जी का गायब होना उसे कचोट रहा था। वे उसके कारण मवाना टॉकीज आये थे तो वह अपने आप को दोषी मान रहा था। उसने अपने स्तर पर उन्हें ढूंढने का फैसला किया। रोज की तरह शाम को जाकर उसने टॉकीज में हाजिरी लगाईं और डॉ चटर्जी का नाम लेकर खूब हल्ला गुल्ला किया लेकिन चोरी से वहाँ के कुत्तों को नशीले बिस्कुट खिला दिए जिन्हें खाकर कुत्ते गहरी नींद सो गए। फिर उसी रात सोमू काले कपड़ों में छुपता छुपाता मवाना टॉकीज पहुंचा, उसने काले कपड़े पहन रखे थे तो वह अन्धकार में लगभग छुप सा गया था। उसके आने की कोई सूचना किसी को नहीं मिली क्यों कि हर आहट पर भौंकने वाले कुत्ते तब खामोश थे। सोमू मवाना परिसर में एक झाडी में जाकर छुप गया। वह कोई आहट नहीं कर रहा था। उसकी गिद्ध दृष्टि मवाना टॉकीज पर टिकी हुई थी आज वह इस प्रेत लीला का रहस्य जानने की ठान कर आया था। इसीलिए छुपा हुआ था।


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