अस्तित्व
अस्तित्व
राजसभा में सभी पशु और पक्षी इकट्ठा हो गए थे। दोनों ही समूहों के प्रमुख पशुओं के सिंहराज और पक्षियों के गरुड़राज ने अपना सम्मिलित पक्ष रखा और राजा से इस विषय पर न्याय करने की गुहार लगाई और साथ में ये भी कहा कि यदि न्याय नहीं हुआ तो सभी पशु पक्षी जैसे की पहले से ही निश्चित करके आये हैं, वे सभी सामूहिक रूप से आत्महत्या कर लेंगे।
अब तो राजा किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया, करे तो क्या करे। जो पक्ष रखा गया था, वास्तव में पशु पक्षियों के समूह का कथन उचित भी था। सभा में जब से ये पढ़कर सुनाया गया, चारों तरफ सन्नाटा पसर गया था। कोई भी कुछ तत्काल निर्णय पर पहुंच सकने की स्थिति में नहीं था। राजा ने इस पर विचार-विमर्श करके अगले दिन निर्णय सुनाने के लिए कहा और सभी से तब तक के लिए आत्महत्या न करने की प्रार्थना की।
प्रात: काल आंख खुली तो ये बातें मस्तिष्क में बार बार हिलोरें ले रही थीं। क्योंकि उस राजा के स्थान पर कोई और नहीं बल्कि मैं था( पढ़ने वाले स्वयं को राजा के स्थान पर समझें।) और जो विषय पशुओं और पक्षियों द्वारा प्रस्तुत किया गया था,
" हे राजन ! ईश्वर ने सम्पूर्ण संसार में प्रत्येक जीव का आहार निश्चित किया है, परन्तु मनुष्य ईश्वरीय सृष्टि के विपरीत, हम पशु पक्षियों की अवैध हत्या करके अपने स्वार्थ की पूर्ति करता है। उसे हमारी भावनाओं, परिवार के दुःख दर्द इत्यादि से कोई सम्वेदना नहीं है। इसलिए हम सभी पशु पक्षियों ने अपनी सम्मिलित सभा में यह निर्णय लिया है कि यदि मनुष्यों ने अब इस कुकृत्य नहीं रोका तो हम सभी सामूहिक आत्महत्या कर लेंगे, जिसके परिणामस्वरूप पूरी प्रकृति के नष्ट होने के साथ साथ मनुष्यों का भी अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।"
अब निर्णय आपको करना है और कल की सभा में आने वाले पशुओं और पक्षियों का दल आपके निर्णय की अधीरता से प्रतीक्षा करेगा। पूरी मानवता के साथ साथ धरती के समस्त जीवों के जीवन और मृत्यु का ही नहीं बल्कि अस्तित्व का प्रश्न है। याद रहे आपको आज ही उचित निर्णय करना है।