मेहनत
मेहनत
अपने तीन बटा चार भाग नंगे बदन की उसे तनिक भी फ़िक्र नहीं थी , दीन-दुनिया से बेखबर, चौराहे के ट्रैफिक सिग्नल के नीचे बने चबूतरे पर वह अधलेटी हुई कुछ खा रही थी , चिड़ियाँ के घोंसले जैसे बिखरे हुए बाल, कूड़े से बीनकर इकट्ठी की गई बेकार चीजों का बण्डल और अपने शरीर का गुदाज़ मांस । कुल यही संपत्ति थी उसके पास । नहीं ! शायद मैं गलत कह गया । उसके उभरे हुए पेट को देखकर लगता है की उसकी संपत्ति में कुछ वृद्धि होने वाली है । हो भी सकता है । अभी कुछ ही दिन पहले तो एक स्वयंसेवी संस्था के कुछ दयालु लोग इस पगली का इलाज करवाने अपने साथ लेकर गए थे ।
भले ही उनकी "दयालुता" और “इलाज़” से यह पगली ठीक नहीं हुई, पर उनलोगों ने मेहनत तो पूरी की थी।