माँ का रिश्ता
माँ का रिश्ता
"इतनी रात गए किसका फ़ोन था ?"
"अम्मा, दामाद जी का फ़ोन था अदिति को लेबर पेन शुरू हो गया था तो हॉस्पिटल ले गए है। डॉक्टर ने बोला है सब नॉर्मल है एक दो घंटे में डिलीवरी हो जाएगी।"
"अरे तू परेशान ना हो बहू, सब अच्छे से हो जाएगा।"
कैसे परेशान ना हूँ अम्मा, अदिति का पहला बच्चा हो रहा है और कोई उसके पास नहीं है, ना कोई ससुराल का और ना ही कोई मायके का। मेरी बच्ची इस समय में कैसे सम्हालेगी खुद को और अपने छोटे से बच्चे को।
"दामाद जी बहुत अच्छे है सब सम्हाल लेंगे और वैसे भी सुना है अमेरिका में डॉक्टर बहुत अच्छे होते है, अभी रात काफ़ी हो गई है तुम सो जाओ।"
"कैसे सो जाऊँ अम्मा, मेरी बेटी मुझसे हजारों मील दूर, दर्द से कराह रही है और मै उसका हाथ पकड़ कर यह भी नहीं कह सकती 'सब ठीक हो जायेगा मेरी बच्ची', यह समय बहुत मुश्किल है मेरे और अदिति के लिए।
माना कि अमेरिका में डॉक्टर अच्छे होंगे लेकिन जन्म के बाद भी कितने रस्मो रिवाज होते है, माँ और बच्चे का बहुत ध्यान से देखभाल करना होता है, पता नहीं ये सब कैसे हो पायेगा।
"अरे जो भी रस्मो रिवाज है फ़ोन पर बता देना, उसमें क्या है।"
"अम्मा जब मै अदिति को लेकर इस घर में आयी थी तो आपने मेरी और अदिति की बहुत सेवा कि थी, यहाँ तक कि आपने महीनों तक रसोईघर में जाने नहीं दिया था। क्या यह सब भी मै फ़ोन पर कर पाऊँगी ?"
तभी दामाद जी का वीडियो कॉल आता है और मुझे मेरी नातिन का छोटा सा गुलाबी चेहरा दिखाई दिया। मैंने अम्मा को फ़ोन दिखाते हुए कहा "देखो अम्मा अदिति का बचपन एक बार फिर से लौट आया।"
अदिति बेटा, ये समय मुश्किल जरूर है लेकिन साथ में बहुत प्यारा भी है इसलिए हिम्मत से काम लेना। खुद का ख्याल रखना और मेरी छोटी सी गुड़िया का भी। खुद को कभी भी अकेला ना समझना हम हमेशा तुम्हारे साथ है।
जहाँ भी रहो हमेशा खुश रहो मेरे बच्चों, अम्मा ने यह कहते हुए फ़ोन रख दिया।