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तिरछी मुस्कान

तिरछी मुस्कान

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सामने से उस शर्मीले से शरीफ लड़के को हाथ में गुलाब का फूल लेते आता देख, मीरा के अधरों पर तिरछी मुस्कान तैर गयी।  मीरा की सहेलियों ने भी उस लड़के को देख लिया था। 

एक बोली :

"ओफ्फो बेचारा ये तो बेहद शरीफ लड़का है । बस पढ़ाई में मगन रहता है। देखो तो इसने कितने प्यार से गुलाब को पकड़ा है।" एक बोली।

दूसरी बोली:

"क्या फायदा ? बेचारा फूल के बदले अपने टूटे दिल को ले वापस हो जाएगा। " 

तीसरी थोड़ी संजीदा हो गयी:

"मीरा, तू कब तक इन बेचारों को इश्क़ का बीमार बना कर दुत्कारती रहेगी। क्या मज़ा आता है तुझे दिलों से खेलने में ?" 

पहली ने ताना मारा :

"अरे ये तो इठलाती है। ये एक अनार और सौ प्रेम -पीड़ित बीमारों की लम्बी कतार। "सब सहेलियाँ अपनी ही बातों पर मुग्ध हँसने -चहकने लगी।

मीरा की आँखों से एक कतरा आँसू हौले से नरम गालों को छूते हुए सीने पर आ गिरा। उसने कब एक अनार बनना चाहा था। वो तो अपने पहले प्यार के कोट में ही सदाबहार गुलाब बन हमेशा -हमेशा के लिए जुड़ जाना चाहती थी। कितनी आसानी से नकुल ने उसे जंगली गुलाब बता अपने से दूर कर दिया था।


वो स्मार्ट नहीं थी। न लड़कियों से नाज -नखरे, न कोई अदा। बहनजी छाप लड़की से नकुल कैसे प्यार कर सकता था ? कितना टूट गयी थी वो। फिर वापस खुद को जोड़ा तो ऐसे की अब आईने में खुद को भी नहीं पहचान पाती। अब वो कॉलेज की सबसे स्मार्ट लड़की है। नाज -नखरे, अदा और ख़ूबसूरती को निखारते मेकअप और महंगी पोशाकों के बल पर कितने ही लड़कों के दिल पर राज कर रही है । इस कॉलेज का वो अनार जिसे पाने को बेक़रार अनगिनत बीमार उसके आस पास चक्कर काटते नहीं थकते। मज़ा तो नहीं पर एक पल लिए अजीब सा सुकून मिलता है जब कोई लड़का उसे प्रोपोज़ करता है और वो किसी न किसी बहाने उसे मना कर देती है। उस एक क्षण उसे लगता है जैसे उसने नकुल से अपना दिल तोड़ने का बदला ले लिया हो।

अभी वो शायद और भी बहुत कुछ सोचती पर वो शर्मीला सा लड़का सामने आ चुका है। अरे ये तो वही लड़का है जिसने कल नए छात्रों की रैगिंग नहीं होने दी थी।

"मीरा जी...आप ....से कुछ ... कहना है !"

जाने क्यों आज उसे इस लड़के में नकुल नहीं खुद की शक्ल नजर आ रही है। उसी बहनजी छाप मीरा की जिसे वो चाह कर भी अपने अंदर से पूरा मिटा नहीं पायी ।

"मीरा कब तक नकुल को याद कर-कर के अपनी जिंदगी दूसरों को चोट पहुंचा कर जीती रहोगी ?" मीरा के दिल से आवाज़ आयी।

लड़का अब पसीने -पसीने हो रहा है । "मीरा जी हम आपसे बेहद .... " 

लड़का आगे बोल ही नहीं पाया। शायद ये चमत्कार है कि मीरा ने आखिर आज उस नकुल से छुटकारा पा ही लिया। हँस कर लड़के के हाथ से गुलाब ले लिया। फिर पास आकर धीरे से बोली :

"हम समझ गए आप क्या कह रहे हैं। पर पहले आप समझ लें। हम जो दिखते हैं वैसे बिलकुल नहीं हैं। बहनजी टाइप हैं। प्यार -व्यार सब ठीक है। पर पास उसी को आने देंगे जिस के साथ सात फेरे ले लेंगे। बोलिये मंजूर है !"

लड़के के चेहरे पर मानों हजार वाट की रौशनी जगमगा गयी। वो फटाफट बोल पड़ा। 

"जी -जी हाँ। हाँ जी। हम तो आपसे तुरंत शादी करना चाहते हैं। कैंपस रिक्रूटमेंट में हमारी अच्छी नौकरी लग गयी है। आप को पता नहीं पर हमारे माँ -पिताजी आपके माँ -पिताजी को अच्छे से जानते हैं। माँ को तो पता भी है कि हम आपसे विवाह करना चाहते हैं। आप कहें तो आज ही उन्हें आप के घर भेज दें। "

मीरा हँस पड़ी। सच में लड़का उस जैसा ही तो है। हाँ में सर हिला कर मीरा को लगा की वह अनार की जगह वापस गुलाब का फूल बन गयी है।

हमेशा -हमेशा के लिए अब सिर्फ एक के लिए।


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