नया सवेरा
नया सवेरा
"सुनो! आज शाम को ऑफ़िस की पार्टी है, तुम तैयार रहना.. और हाँ वो लाल ड्रेस पहनना, तुम पर बहुत फबेगी.." आकाश की फरमाइश थी।
वैशाली अतीत में खो गयी... लाल रंग तो वैभव को बिल्कुल नापसन्द था.. वह कैसे पहन ले? "वैभवशाली..." इसी नाम से वैभव और वैशाली पूरे कॉलेज में प्रसिद्ध थे। समय मानो पंख लगाकर उड़ रहा था..और वह भी। शादी हुई और फिर अचानक कार एक्सीडेंट में हुई वैभव की मृत्यु ने मानो वैशाली को ज़मीन पर ला पटका।
"अभी तो शादी को एक ही बरस हुआ था.. कोई बाल बच्चा भी नही, पूरी जिंदगी पड़ी है, कैसे काटेगी विधवा का जीवन.. आदि आदि के बीच आया था आकाश की ओर से पुनर्विवाह का प्रस्ताव.. आकाश, वैभव और वैशाली का कॉलेज का साथी।
उसकी अपनी खुशी तो कोसों दूर चली गयी थी। सबकी खुशी में अपनी खुशी तलाशने वह आकाश के साथ विवाह बंधन में बंध गयी। वैशाली जब भी आकाश की ओर कदम बढ़ाती, वैभव सामने आ खड़ा होता और वह फिर यादों में खो जाती।
बहुत ही अनमने भाव से वह वार्डरोब के सामने जा खड़ी हुई। वैभव की पसंदीदा नीली ड्रेस पहनी और तभी उसे पीछे से आकाश के शब्द सुनाई दिए... "वैभव तुम्हारा अतीत था, मैं तुम्हें रोकूँगा नहीं, किन्तु मैं भी एक इंसान हूँ। वर्तमान की उपेक्षा कर एक मृत व्यक्ति के प्रति आस्था और जीवित के प्रति अनास्था का क्या औचित्य है..?"
"बस आकाश...!" ...वैशाली के दिलोदिमाग जैसे जागृत हो उठे.. "अब से तुम्हें शिकायत का मौका नहीं मिलेगा.."
वैशाली की ड्रेस का लाल रंग उसके चेहरे पर खिल रहा था..!