युवा वायु है
युवा वायु है
कहते हैं जीत के लिए सीखते रहना बेहद आवश्यक होता है। संघर्ष करते रहना ही इंसान के वश में होता है क्योंकि परिणाम हमारे गुलाम नहीं बल्कि हमारे कर्मों का प्रतिफल होता है। जितनी शिद्दत हमारे कर्मों में होगी, उतनी ही ख़ूबसूरत हमारी मंज़िल होगी। युवा तो उस वायु की तरह है, जिसके वेग के आगे बड़ी-बड़ी ताकनेस्तनाबूत हो जाती हैं। ज़रा-सा युवा को वायु में बदलो तो सही। ख़ुद की काबिलियत को निखार कर देखो। जिस प्रकार वायु के आगे किसी की औकात नहीं उसी प्रकार युवा अगर एक बार ठान ले तो फिर दुनिया की कोई मंज़िल दूर नहीं।