ज़्यादा जोगी मठ उजाड़
ज़्यादा जोगी मठ उजाड़
दफ़्तर में नए-नए साहब आए हैं। दफ़्तर में चर्चा है कि नए साहब की बड़े साहब से बहुत बनती है। इसलिए दफ़्तर में वही होगा, जो नए साहब चाहेंगे। नए साहब के आते ही चमचों सो कॉल्ड कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों की बांछें खिल गईं कि अब काम से थोड़ी राहत मिलेगी। पुराने साहब जबसे आए थे, तब से बहुत काम करना पड़ रहा था। नए साहब के आने बाद अगले दिन से ही दफ़्तर का नज़ारा बदला हुआ था। हर काम के लिए इंचार्ज लगा दिया गया। यहां तक कि पानी पीने के लिए भी इंचार्ज की अनुमति लेनी पड़ती थी। फलस्वरूप एक दिन का काम पांच दिन में होने लगा। कदम-कदम पर अनुमति लेनी पड़ती थी। इससे दफ़्तर की आय कम होने लगी थी। आय कम होते ही बड़े साहब ने नए साहब को निकालने का फरमान जारी कर दिया और पुराने साहब को फिर बुला लिया।