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Sonam Rathore

Drama

5.0  

Sonam Rathore

Drama

मोह मोह के धागे

मोह मोह के धागे

4 mins
849


राजीव उस रात बड़ा दुखी होकर घर से निकला था, नैना की खोज में। उसे नैना के साथ बिताया हुआ हर एक लम्हा याद आ रहा था। उसने शहर के सारे बस अड्डे और रेलवे स्टेशन छान मारे थे पर, उसे नैना कही नहीं मिली। वो घर लौटने ही वाला था की, अचानक उसे याद आया की रीमा के घर भी चला जाये। उसने रीमा के घर का दरवाज़ा खट खटाया। "रीमा, नैना आयी है क्या तुम्हारे यहाँ?" राजीव ने बड़ी चिंतित आवाज़ में पूछा। "नहीं तो। क्या हुआ राजीव? इतने परेशां क्यों लग रहे हो?" रीमा ने राजीव से पूछा। राजीव ने सारी हकीकत रीमा को बताई। "पता नहीं कहा गयी होगी। मेरे और तुम्हारे अलावा वो, किसी को ठीक से जानती भी नहीं। कितनी पागल है न। मुझे अपनी सफाई देने का एक मौका भी नहीं दिया उसने।" इतना कहकर राजीव वहा से निकल पड़ा। रीमा ने घर का दरवाज़ा बंद किया और पीछे पलटी तब, नैना वही खड़ी थी आँखों में आसूं लिए। "राजीव तुमसे बहुत प्यार करता है नैना। तुमने ये ठीक नहीं किया। सुना न तुमने, वो कितना परेशां था तुम्हारे लिए। जितना में राजीव को जानती हु, अपर्णा के जाने के बाद इतने सालो में, मैंने उसके चेहरे पर ख़ुशी और फ़िक्र देखि, वो भी सिर्फ तुम्हारे लिए।" रीमा ने नैना से कहा। "में जानती हु रीमाजी। मैंने राजीवजी की आँखों में अपने लिए प्यार देखा है और दर्द भी। पर में क्या करू? अपर्णा अचानक से घर आ गयी, और मेरी समझ में कुछ नहीं आया।" इतना कहकर नैना जोर से रोने लगी। रीमा ने उसे हौसला दिया।

राजीव जब घर पंहुचा तब अपर्णा वही बैठी थी। वो उठकर राजीवके पास आयी और, राजीवने काफी गुस्से से उसकी और देखा। "वही रुक जाओ अपर्णा। मेरे पास भी मत आना तुम।" इतना कहकर राजीव नैना के कमरे में चला गया। वो उस कमरे को निहारने लगा। तभी उसकी नजर उस खत पर गयी जो नैना ने उसके लिए लिखा था। उस खत को पढ़कर राजीव की आँखें भर आयी। वो तुरंत दौड़ता हुआ नीचे आया। "ये नैना कौन है राजीव? और तुम्हारे साथ यहाँ क्यों रह रही थी? मुझे जवाब दो।" अपर्णा ने राजीव से पूछा। "तुम्हे उससे क्या? और अब तुम यहाँ किस लिए आयी हो? तुम्हारा और मेरा रिश्ता उसी दिन ख़त्म हो गया था, जिस दिन तुम मुझे छोड़कर उस अभय के साथ चली गयी थी। तुमने जरूरी भी नहीं समझा की मुझ पर क्या बीत रही होगी।" राजीव ने अपर्णा से कहा। उसने अपर्णा को वो सोने की बालिया दिखाई, जो वो उसके लिए लाया था। "ये बालिया देख रही हो अपर्णा? ये में तुम्हारे लिए लाया था। और जब मुझे पता चला था , की तुम मुझे छोड़कर चली गयी हो तब मुझे बहुत गुस्सा आया था। में इन्हे फेकने वाला था , पर फेक नहीं पाया। ये हमेशा मेरे पास ही रहती। मुझे एहसास दिलाती की कैसे तुमने मुझे धोका दिया और, मेरे अंदर की नफरत हमेशा तुम्हारे लिए बढ़ती रही। पर अब मुझे लगता है की समय आ गया है इन्हे फेकने का। तो आज से अपर्णा, में तुम्हे आजाद करता हु इस रिश्ते से और अपने आप को इस नफरत से, क्यूंकि में नैना से प्यार करता हु और उसके साथ अपनी बची हुई ज़िन्दगी गुजारना चाहता हु।" इतना कहकर राजीव ने वो बालिया दरवाजे की और फेक दी। नैना वही दरवाजे पर खड़ी सब सुन रही थी। वो बालिया उसके कदमो में आकर गिर गयी। "राजीवजी।।। में भी आपसे बहुत प्यार करती हु।" नैना की आवाज़ सुनकर राजीव ख़ुशी से झूम उठा। वो दौड़ता हुआ नैना के पास गया और उसे गले लगा लिया। अपर्णा ये सब देख रही थी। उसे आज अपनी गलती का एहसास हुआ, पर अब काफी देर हो चुकी थी। वो वहा से चली गयी।

राजीव और नैना काफी देर तक दरवाजे पर ही खड़े रहे। "राजीवजी अंदर चले।" नैना ने काफी शरमाते हुए राजीव से कहा। "मुझे माफ़ कर दीजिये राजीवजी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे समझ आ रहा था की आप मुझसे प्यार करने लगे है, पर अपर्णा के आने के बाद मुझे लगा की, अब सब कुछ बदल जायेगा। में अपने आपको आपसे दूर जाता हुआ नहीं देख पाती।" इतना कहकर नैना रोने लगी। राजीव ने उसके आंसू पोछे। " मुझे तो आज पता चला की तुम भी मुझसे प्यार करती हो। में तुम्हे बताने ही वाला था, पर में कुछ कहता उसके पहले ही तुम जा चुकी थी। नैना, हम दोनों के नसीब में शायद ऐसे ही मिलना लिखा था। ये मोह मोह के धागे, किस्मत से जुड़े है, और अब ये कभी टूटेंगे नहीं।" इतना कहकर राजीव ने नैना को अपने बाहों में ले लिया और दोनों के चेहरे पर एक ख़ुशी भरी मुस्कान छलक उठी।


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