पकड़
पकड़
सुमित्रा अपने देवर विलास के फैसले का इंतज़ार कर रही थीं। पास ही उनकी भतीजी प्रिया और देवरानी भी बैठी थीं।
सुमित्रा का अपने देवर की गृहस्ती में बड़ा दखल था। कोई भी फैसला उनकी सहमती के नहीं होता था।
उन्होंने प्रिया के लिए एक रिश्ता सुझाया था। वह चाहती थीं कि उसका विवाह वहीं हो। लेकिन प्रिया अपने एक सहकर्मी से विवाह करना चाहती थी। उसने अपने पिता से साफ कह दिया था कि वह केवल अपनी पसंद के लड़के से ही विवाह करेगी।
सुमित्रा को पूरा यकीन था कि इस बार भी विलास उन्हीं की बात मानेगा।
अपना फैसला सुनाते हुए बोला,
"भाभी हमें प्रिया को उसकी पसंद से शादी करने देना चाहिए। वह लड़का हर लिहाज़ से उसके लायक है।"
सुमित्रा को अपनी पकड़ ढीली पड़ती प्रतीत हुई।