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Satish Kumar

Inspirational

5.0  

Satish Kumar

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मेरी राह

मेरी राह

4 mins
280


मैं भटक चुका था अपने रास्ते से। मैं एक विद्यार्थी था परंतु इधर कुछ महीनों से मेरा पढ़ाई पर ध्यान बिल्कुल नहीं था। एक लड़की थी, मेरी जिंदगी में। मैं उससे बहुत प्यार करता था, हां प्यार ही करता था। स्कूल से आने के बाद मैं उसके साथ व्हाट्सएप पर घंटों चैटिंग किया करता था। समय कैसे बीत जाता था मुझे पता ही नहीं चलता था। धीरे-धीरे ऐसे वक्त भी आ गए कि शिक्षक मुझे कहने लगे कि राहुल तुम्हारा आजकल होमवर्क कंप्लीट नहीं हो पा रहा है, शायद तुम अपनी राह से भटक रहे हो। मैं उनकी बातों को सुनता तो था परंतु इन बातों का मुझ पर कोई असर नहीं होता था। एक बार स्कूल में एक क्विज हुआ, उसमें सिर्फ जी के पूछे जाने वाले थे। उससे एक दिन पहले मैंने सोचा तो था कि हर बार की तरह विजेता मैं ही रहूंगा। मैंने सोचा भी था कि किस तरह मैं उसकी तैयारी करूँगा। लेकिन मैंने अपना सारा वक्त व्हाट्सएप पर बिता दिया। अगले दिन स्कूल में क्विज भी हुआ। मैंने तो कुछ पढ़ा नहीं था, फिर भी जितना मैं जानता था उसी हिसाब से मैं सवालों के जवाब देता गया। और शायद किस्मत मेरे साथ थी जो मैं क्विज के अंतिम सिरे तक पहुंच गया। लेकिन फाइनल में जाकर हार गया। मुझे बहुत दुख हुआ। मैं सोच रहा था कि आखिर मैंने पढ़ाई क्यों नहीं किया। मुझे पढ़ना चाहिए था। मैं काफी बदल गया था। मैं वही राहुल हूं जो कभी सारे क्षेत्र में विद्यालय में सबसे ऊपर हुआ करता था। और आज फाइनल में बुरी तरह हार गया हूं।


कुछ दिन बीतने के बाद मेरे बड़े भैया अनिकेत का तबियत खराब हो गया, वह घर पर आए हुआ था। वो एक कमरे में बीमार लेते रहते थे। मैं उनके पास जाता तो था लेकिन अपना वक्त उसे ज्यादा नहीं देता था। हर वक़्त मैं अपने कमरे में फोन में लगा रहता था। पता नहीं मुझे क्या हो गया था। मेरे दिमाग में ये ख्याल भी नहीं आता था कि मुझे भी अपने भैया के साथ वक्त बिताना चाहिए। वह पटना की सभी बड़े अस्पतालों में घूम चुके थे पर कहीं भी उसकी बीमारी का इलाज नहीं मिल पा रहा था वह घर पर ही आराम करते और डॉक्टरों के द्वारा दी गई दवाई को वक्त से लेते। धीरे-धीरे उनकी तबियत में सुधार आ रही थी। एक सुबह मैं अपने कमरे में फोन में लगा हुआ था और अचानक से भैया रूम में आ गए। तो मैंने झटपट से चैट्स को डिलीट किया और फोन रख दिया। यह भैया देख लिया था तो उसने मुझसे बड़ी ही विनम्रता से सवाल किया कि आखिर यह तुम कर क्या रहे हो, मैं तुम्हें हफ्तों से देख रहा हूं तुम हमेशा किसी ना किसी से बात करते रहते हो। तो मैंने डरते हुए उससे बिना कुछ छुपाए सब कुछ सच-सच बता दिया, मुझे पता था कि यदि मैं सच बोलता तो मुझे पनिशमेंट ना देकर मुझे समझाते। मुझे फिर से मेरी राह पर आने की सलाह देते। और हुआ भी ऐसा ही उसने मुझे बताया कि अभी जिस उम्र में तुम हो यह उम्र खुद को बनाने की है। इस उम्र में जो भी तुम सोचोगे तुम वह कर सकते हो। अभी तुम्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। मैं ऐसा बिल्कुल नहीं कह रहा हूं कि उससे तुम बात करना ही बंद कर दो लेकिन हां सीमित समय में। अगर तुम अपना वक्त बात करने में ही बर्बाद कर दोगे तो फिर यह उम्र तुम्हारा यूं ही बीत जाएगा। उन्होंने मुझे ही मेरे सपने के बारे में याद दिलाया। उन्होंने मुझे बताया कि जो तुम बड़े बड़े ख़्वाब देखते हो , जो इतने सारे पैसे कमाने चाहते हो वह इस तरह वक्त बर्बाद करके कभी नहीं होगा। उसने मुझे बताया कि मैं उस लड़की से सीमित समय में ही बात करूँ और अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगाऊं। वह हमेशा से मेरे एक मार्गदर्शन रहे है , इसीलिए मैं कभी उनसे कुछ छुपाता नहीं। मैं हमेशा सच सच उन्हें बता देता हूं क्योंकि मुझे पता है कि वह जो भी बोलेंगे मेरी भलाई के लिए ही बोलेंगे वह मेरी बुराई कभी नहीं चाहेंगे और सच भी यही है कि उनके बताए रास्तों से मुझे हमेशा कुछ ना कुछ सीखने को ही मिला है।


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