चुड़ैल वाला मोड़ पार्ट 6
चुड़ैल वाला मोड़ पार्ट 6
संकेत के दिल की धड़कन बढ़ गई थी। उसका खौफ़नाक एक्सीडेंट और सुशान्त का सुसाइड अटेम्प्ट। संकेत सोच रहा था कि इससे अच्छा तो मर ही गया होता कम से कम सुशान्त पर तो मुसीबत न आती और शायद श्राप भी ख़त्म हो जाता।
सोचते हुए संकेत को घड़ी का ख्याल आया, देखता तो रोज़ था पर कभी ध्यान नहीं दिया कि घड़ी उस पहली होश वाली रात के बाद अपनी जगह से ग़ायब थी। आखिर वो घड़ी गई तो गई कहाँ ?
"माँ वो घड़ी कहाँ गई। " संकेत ने माँ से पूछा ।
"कौन सी घड़ी बेटा?" माँ ने वापस सवाल दाग दिया।
"अरे वही जो मेरे होश में आने तक वहां लगी थी।" संकेत बोला।
"अच्छा वो घड़ी.... वो तो मैंने ही हटा के भीतर डाल दी। क्या है न बेटा घड़ी खराब हो गई थी और खराब घड़ी देखना अशुभ् भी होता है। एक तो तेरी तबियत ठीक नहीं ऊपर से अपशगुन होता तो.." बोलते बोलते माँ चुप हो गई ।
"क्या माँ आज के समय में अंध...." आधा शब्द बोल कर संकेत भी चुप हो गया। भूत चुड़ैल भी तो अंधविश्वास ही होते थे संकेत की नज़र में, पर आज उसे इन ताक़तों पर पूरा यकीन था।
औघड़ का वो कथन कि "वो आएगी " उसके कानों में गूंजा करता था।
"माँ ज़रा वो घड़ी तो निकालना।" संकेत ने अगले दिन की सुबह माँ को बोला ।
"क्या करेगा उस घड़ी का ?" माँ ने पूछा ।
"तुम लाओ तो ..." संकेत बोला ।
माँ अलमारी में से वो बंद घड़ी निकाल के लाई और संकेत के हाथ पर रख दी। घड़ी ठीक उसी 12:12 पर बंद थी। बैटरी भी लगी थी। संकेत ने बैटरी निकाल के रिमोट में डाली और टीवी की तरफ कर के पावर बटन दबाया। टीवी चालू हो गया था ।
"सेल भी ठीक काम कर रहे हैं तो घड़ी आखिर इस 12:12 पर क्यों रुकी पड़ी है ?" संकेत उहापोह से जूझ रहा था। "माँ मुझे सुशान्त से मिलना है।" संकेत अचानक से माँ से बोला ।
"मिल लेना बेटा, अभी वो भी कुछ ठीक हालात में है नहीं ।" माँ बोली।
"ठीक हालात में नहीं है .....मतलब?" संकेत ने सवाल किया ।
"हाँ बेटा, कुछ मानसिक सी दिक्कत है उसको। भड़क जाता है। कभी बोलता है कुछ दिख रहा है कभी कहता है कुछ दिख नहीं रहा। अकेले में बड़बड़ाता रहता है। कुछ ठीक नहीं चल रहा बेटा। अच्छा होगा पहले तू ठीक हो जा फिर ही मिलना उससे।" माँ ने जो कुछ बोला उससे चकरा गया संकेत। इन हालातों का सामना करने के लिए उसे सुशान्त के साथ की ज़रुरत थी पर शायद अभी ये मुमकिन न था।
शेष अगले अंक में......