खाना बर्बाद न करें
खाना बर्बाद न करें
ऑफिस निकलने में देरी हो रही थी इसलिए नेहा ने सोचा कि रास्ते में हीं कुछ खरीदकर खा लूंगी और स्कूटी से ऑफिस के लिए निकल गई।
अपनी स्कूटी लालबाबू हलवाई के पास रोककर, वह पूड़ी-सब्जी लेने चली गई। वापस आने पर उसकी नज़र एक बच्ची पर पड़ी, जो कचड़े के ढेर में से खाना उठाकर खा रही थी।
शायद कल रात वहां भव्य-भोज का आयोजन हुआ था, नतीजतन सड़क किनारे खाने का ढेर लगा था। इस मार्मिक और हृदय-विदारक को देखकर नेहा की आँखें भर आईं।
उस बच्ची को बुलाकर नेहा ने अपनी प्लेट उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘तुम ये खाना खा लो।’
उस बच्ची ने सुकून से पूरा खाना खा लिया। उस बच्ची को खाता देख, नेहा की आत्मा भी तृप्त हो गई पर उसके मन में एक बात उठी, क्या दिखावे के लिए भव्य आयोजन करना और खाने की बर्बादी करना उचित है ? जहां आज भी कई लोग भूखे पेट सोने को मजबूर है।।