ख़रगोश
ख़रगोश
वोलोद्या मेज़ पे बैठा-बैठा तस्वीरें बना रहा है।
उसने नन्हा-सा घर बनाया, घर की खिड़की में एक काली दाढ़ी वाला नन्हा आदमी बनाया, घर के पास एक पेड़ बनाया, और दूर बनाए जंगल और खेत। इसके बाद घर के पास झाड़ियाँ बनाईं और सोचने लगा कि अब और क्या बनाए।
सोचता रहा, सोचता रहा, फिर उबासी ली। फिर और एक बार उबासी ली और फ़ैसला किया कि झाड़ियों के नीचे ख़रगोश बनाएगा।
वोलोद्या ने पेन्सिल उठाई और ख़रगोश बना डाला।
बेहद ख़ूबसूरत ख़रगोश बना, लम्बे-लम्बे कान और छोटी सी रोएँदार पूंछ वाला।
“ऐय-ऐय-ऐय !” अचानक घर की खिड़की से काली दाढ़ी वाला नन्हा आदमी चिल्लाया।
“ये ख़रगोश कहाँ से आ गया? ठीक है, मैं अभी उस पे बन्दूक से गोली चलाता हूँ !”
नन्हे से घर का दरवाज़ा खुला और हाथों में बन्दूक लिए नन्हा आदमी भागकर ड्योढ़ी में आया।
“मेरे ख़रगोश पर गोली चलाने की हिम्मत न करना !” वोलोद्या चिल्लाया।
ख़रगोश ने अपने कान हिलाए, पूंछ को झटका दिया और जंगल में भाग गया।
“बाख़ !” काली दाढ़ी वाले नन्हे आदमी ने बन्दूक से गोली चलाई।
ख़रगोश और ज़्यादा तेज़ी से भागा और जंगल में छुप गया।
“निशाना चूक गया !” काली दाढ़ी वाला नन्हा आदमी चिल्लाया और उसने बन्दूक ज़मीन पर फेंक दी। ‘मैं बहुत ख़ुश हूँ कि तुम्हारा निशाना चूक गया,” वोलोद्या ने कहा।
“नहीं !” काली दाढ़ी वाला नन्हा आदमी चीख़ा। “मैं, कार्ल इवानोविच शुस्तेर्लिंग, ख़रगोश को गोली से मारना चाहता था, मगर मेरा निशाना चूक गया ! मगर मैं उसे मारूंगा ज़रूर ! मैं उस पर गोली चलाऊँगा !”
कार्ल इवानोविच ने बन्दूक उठाई और जंगल की ओर भागा।
“रुकिए !” वोलोद्या चिल्लाया।
“नहीं, नहीं, नहीं ! मैं उसे मार डालूँगा !” कार्ल इवानोविच चिल्लाया।
वोलोद्या कार्ल इवानोविच के पीछे भागा।
“कार्ल इवानोविच ! कार्ल इवानोविच !” वोलोद्या चिल्ला रहा था।
मगर कार्ल इवानोविच कुछ भी सुने बगैर आगे-आगे भागता रहा।
इस तरह भागते हुए वे जंगल तक पहुँचे। कार्ल इवानोविच ने रुककर बन्दूक में गोलियाँ भर दीं।
“तो,” कार्ल इवानोविच ने कहा, “अब वो ख़रगोश मुझे बस दिख जाए !” और कार्ल इवानोविच जंगल के भीतर चला गया।
वोलोद्या कार्ल इवानोविच के पीछे-पीछे था।
जंगल में अंधेरा था, ठण्ड थी और मशरूमों की ख़ुशबू थी।
कार्ल इवानोविच ने अपनी बन्दूक बिल्कुल तैयार रखी थी, वो हर झाड़ी में देखता जा रहा था।
“कार्ल इवानोविच,” वोलोद्या ने कहा। “चलो, वापस चलें। ख़रगोश पर गोली नहीं चलानी चाहिए।”
“नहीं, नहीं !” कार्ल इवानोविच ने कहा। “मुझे डिस्टर्ब मत करो !”
अचानक झाड़ी से ख़रगोश उछला और कार्ल इवानोविच को देखते ही कूदा, हवा में ही वापस मुड़ा और तीर की तरह भागने लगा।
“उसे पकड़ !” कार्ल इवानोविच चीख़ा। वोलोद्या कार्ल इवानोविच के पीछे लपका।
“ओ-ओ-ओ !” कार्ल इवानोविच चिल्लाया। “अभ्भी मैं उसे ! एक, दो, तीन !”
कार्ल इवानोविच की काली दाढ़ी चारों ओर उड़ रही थी। कार्ल इवानोविच झाड़ियों से होता हुआ भाग रहा था, चिल्ला रहा था और हाथ हिला रहा था।
“फ़ू !” कार्ल इवानोविच रुका और उसने आस्तीन से माथा पोंछा।
“फ़ू ! कितना थक गया मैं !”
ख़रगोश छोटे-से टीले पर बैठा था और कान खड़े करके कार्ल इवानोविच की ओर देख रहा था।
“आह, तू, गलीज़ ख़रगोश !” कार्ल इवानोविच चिल्लाया। “ऊपर से मुझे चिढ़ा रहा है !”
कार्ल इवानोविच फिर से ख़रगोश का पीछा करने लगा। मगर कुछ ही क़दम दौड़ने के बाद कार्ल इवानोविच रुक गया और ठूँठ पर बैठ गया।
“नहीं, और नहीं भाग सकता, ” कार्ल इवानोविच ने कहा।