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तीन दिन भाग 10

तीन दिन भाग 10

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तीन दिन भाग 10

शनिवार 15 अगस्त  

रात 11 बजे

 

            अब किले में हर व्यक्ति एक दूसरे से डरा हुआ था। यहां तक कि पति पत्नी के बीच भी संदेह की दीवारें  खड़ी हो गई थी। सब एक दूसरे का तसव्वुर कातिल के रूप में कर रहे थे। कोई साधारण से काम के लिए भी हाथ पाँव हिलाता तो उसके बगल का व्यक्ति चौंक उठता था। दो दिनों में ही ऐसी घटनाएं घटित हुई थी कि इन लोगों की वर्षों की दोस्ती का विश्वास कपूर की तरह उड़ गया था। अब हर किसी को अपनी जान की चिंता सता रही थी। हर कोई अपने हिसाब से गुजरी हुई घटनाओं का विश्लेषण कर रहा था। केवल रमन और छाया सभी से बात कर रहे थे क्यों कि वे ही मेजबान थे और अपने धर्म का पालन कर रहे थे। दूसरी और डॉ मानव और नीलू आपस में थोड़ी बहुत बात कर रहे थे क्यों कि दोनों अपने अपने जीवन साथी को गंवा चुके थे और एक दूसरे का दर्द समझते थे। सुदर्शन और शोभा एक दूसरे पर प्रगाढ़ विश्वास रखते थे। बाकी गुंडप्पा और मधु भी एक दूसरे से खिंचे-खिंचे लग रहे थे। यहां तक कि बिंदिया भी सुरेश के पास जाने में कतरा रही थी। अब किसी को नेचुरल कॉल के लिए भी एकांत में जाना होता तो बड़ी विकट परिस्थिति उत्पन्न हो रही थी। अकेले जाने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी और किसी को साथ ले जाने का साहस नहीं हो रहा था। अब जिसे साथ ले जा रहे हैं वही कातिल हुआ तो?

     सुदर्शन काफी रात गए धीमे से उठे और दरवाजे के पास जाकर खड़े हो गए। थोड़ी देर रुक कर उन्होंने बाहर और भीतर का निरीक्षण किया फिर सावधानी पूर्वक बाथरूम की ओर बढ़ गए। उनके जाते ही एक साया यूँ उछलकर खड़ा हुआ मानो उसके पांवों में स्प्रिंग लगे हों। वो दबे पाँव सुदर्शन के पीछे लग गया। सुदर्शन काफी सावधान थे पर साया भी बेहद सावधानी से खुद को उनकी नजरों से बचाते हुए उन्हें देखता रहा और उनके लौटने से पहले ही दबे पाँव आकर अपनी शय्या पर लेट गया। सुदर्शन भी लौट कर सो गए। 

इसी तरह मधु को भी बाथरूम जाना था तो उसकी अकेले जाने की हिम्मत नहीं पड़ी। उसने जाकर अपने पति गुंडप्पा को उठाया और दोनों बाथरूम की ओर चले गए। रहस्यमय साये ने फिर दबे पाँव दोनों का पीछा किया और खम्भे के पीछे छुपा चमकती आँखों से उन्हें देखता रहा। 

रमन भी छाया के साथ निकले तो साये ने फिर वही एक्शन दोहराया। पता नहीं उसके मन में क्या था?

           रात को नीलू को भी बाथरूम जाने की इच्छा हुई। उसने कातर दृष्टि से इधर-उधर देखा तो उसे डॉ मानव दीवार से सटे शून्य में निहारते नजर आये। डॉ ने भी उसकी ओर देखा तो झट उसकी समस्या समझ ली। वे धीरे से उठे और उसे अपने पीछे आने का इशारा करके कमरे से बाहर निकल गए। नीलू भी सहमती सी उनके पीछे बाहर बाथरूम की दिशा में चली गई। डॉ मानव वैसे भी बहुत हेल्पफुल नेचर के व्यक्ति थे। वे धीमे-धीमे शब्दों में नीलू से बतियाते हुए आगे बढ़ने लगे। ये दोनों आगे बढ़ते जा रहे थे पर इन्हें पता नहीं था कि रहस्यमय साया प्रेत की तरह इनके पीछे कमरे से निकला था और दबे पाँव इनके पीछे लग गया था। 

        नीलू बाथरूम से बाहर निकली तो डॉ मानव ने भी अवसर का लाभ उठाकर बाथरूम में हाजिरी दे दी वातावरण में घुप्प अँधेरा था। जिससे डॉ मानव की टॉर्च यथाशक्ति लड़ने का प्रयत्न कर रही थी। दोनों फिर कमरे की ओर बढ़ने लगे। अचानक डॉ मानव की टॉर्च बुझ गई। घुप्प अन्धकार छा गया। दूर कहीं किसी जंगली पशु का कर्कश स्वर हड्डियों को कंपा रहा था। किले के एक खम्भे के पीछे खड़े साये की आँखें भी किसी जंगली पशु की तरह चमकने लगीं  वो आँखें गड़ा कर अँधेरे में देखता रहा और झपट कर मानव और नीलू की ओर बढ़ा पर तब तक वे हॉल में जाने को उद्धत हो चुके थे। साये का दांव नहीं लगा तो वह दबे पाँव कमरे में आकर चुपचाप लेट गया। थोड़ी देर में नीलू और मानव भी आये और अपने अपने स्थान पर लेट गए और गहरी नींद में सो गये। रहस्यमयी साया देर तक अपने बिस्तर पर करवटें बदलता रहा। इन सभी लोगों का पीछा करके उसने ऐसा कुछ देख लिया था जो उसे सोने नहीं दे रहा था। कुछ समय बाद उसने अपना एक्शन प्लान निर्धारित कर लिया अब उसे आगे बढ़ने के लिए एक मार्ग सूझ गया था।

कहानी अभी जारी है ......

कौन था रहस्यमय साया ? 

पढ़िए अगले भाग 11 में 


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