जिदंगी जीने का कल नहीं होता
जिदंगी जीने का कल नहीं होता
आभा, सीधी सादी प्यारी सी लड़की जिसे सिर्फ खुश रहना आता था। साहिल नाम के लड़के से बेहद प्यार करती थी। साहिल भी आभा से बेहद प्यार करता था। दोनों फोन पर बातें करते, दोनों की सुबह इक-दूसरे से शुरू होती और शाम भी इक-दूसरे पे खत्म होती।
फिर इक दिन अचानक से साहिल पर पैसे ज्यादा कमाने का भूत सवार हो गया जबकि आभा को पैसे से कोई प्यार नहीं था। उसे सिर्फ खुशी और प्यार चाहिए था।
धीरे-धीरे साहिल काफी बिजी रहने लगा। आभा को कम समय देता, फोन पर भी उससे कम बात करता। वह आभा से कहता पूरी जिंदगी है प्यार करने के लिए, बातें करने के लिए। पर आभा आज में जीने वाली लड़की थी। वह कहती जब हमें आज खुशी मिल रही है तो कल का इंतजार क्यों करे।
साहिल पैसे के लिए बिजी रहा और आभा उसे परेशान करती रही फिर अचानक एक दिन आभा का एक्सीडेंट हो गया और वो मर गई।
साहिल पत्थर बन गया क्योंकि उसे परेशान करने वाली उसकी आभा अब इस दुनिया में नहीं थी। उसे आभा की बात याद आती कि जब हमें आज खुशी मिल रही है तो कल का इंतजार क्यों करे।
फिर धीरे-धीरे साहिल सही हुआ उसने आभा के नाम से इक संस्था खोली जिसमें वह प्यार करने वालों को मिलाता और उनसे कहता अपने आज को जी भर के जी लो क्योंकि जिदंगी जीने का कोई कल नहीं होता।