बिल्ली और चप्पल
बिल्ली और चप्पल
हम लोग कई संयोगों को अपशकुन मानतें हैं, जैसे की घर से बहार निकलते वक़्त या कोई काम शुरू करते वक़्त छींक आना या छींक की आवाज़ सुनाई देना, बिल्ली का रास्ता काट जाना, इत्यादि।
एक दिन हमें हमारी बहन ने बिल्ली के रास्ता काट जाने से होने वाले अनिष्ट को नष्ट करने का उपाय बताया।हमने ज्ञान प्राप्त किया की नहीं, भगवान् जल्दी ही हमारी परीक्षा लेते है। अगले दिन सुबह की मॉर्निंग वाक में थोड़ी दूर चलने पर एक बिल्ली रास्ता काट गई। हमने तुरंत बताये हुए उपाय का अनुपालन करते हुए अपनी एक चप्पल उतार कर उस जगह से आगे फ़ेंक दी जहाँ से बिल्ली ने रास्ता काटा था। इतनी देर में ही दूसरी बिल्ली रास्ता काट ग। इसका तो हमें कोई उपाय बताया नहीं गया था, अतः अपने मस्तिष्क अनुसार, हमने दूसरी चप्पल भी आगे फ़ेंक दी और फिर बाबा जी की बताई हुई योग मुद्रा में खड़े हो गए, पैर नीचे और सर ऊपर।
पैरो में कंकड़ चुभ रहे थे. फौरन भगवान् याद आये और याद करते ही दया आई। दोनों बिल्ली एक के बाद एक वापिस रास्ता काट गई. हमने लपक के दोनों चप्पल पहनी। चप्पल उठाने के लिए उतनी दूरी नंगे पैर चलने में कई कंकड़ चुभ गए। हमें समझ में आ गया की अनिष्ट बिल्ली के रास्ता काटने से नहीं हुआ बल्कि चप्पल फेकने से हुआ और हमने गांठ बांध ली की बिल्ली के रास्ता काटने पर अब कभी चप्पल नहीं फेंकेंगे।