मै शक्ति स्वरूप
मै शक्ति स्वरूप
आज पहली बार मुझे अपने ऊपर इतना गर्व हो रहा कोई पुरुष मेरे सामने झुके तो खुशी होती है।
वैसे पुरुषों ने हमेशा महिलाओं का शोषण किया कभी मानसिक तो कभी दैहिक शोषण, कभी काम करवा कर तो कभी कमियां गिनाकर कभी गालियां देकर। आए दिन महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की खबरें पढ़कर दिल दहल जाता है । मुझे एक छोटी सी कहानी याद आ रही है, एक बड़ा सा हाथी शक्तिशाली एक छोटी सी रस्सी से बंधा रहता है और महावत उसे छोड़ कर आराम से घूमता है एक बच्चा उस महावत से पूछता है, आप इतने बड़े हाथी को रस्सी से बांधे हो क्या वह भाग नहीं जाएगा तो महावत कहता है नहीं भागेगा नहीं भागेगा क्योंकि वह मन से कमजोर हो गया है बच्चा पूछता है कैसे, तो महावत कहता है ।जब छोटा था तो इसे मैंने जंजीर से बांधा था, तब उसने भागने की बहुत कोशिश की और इसका पैर छिल गया बहुत दर्द हुआ खून निकलने लगा इसने दोबारा कोशिश नहीं की अब रे बड़ा है शक्तिशाली है मगर इसे अपनी शक्ति का एहसास ही नहीं ज्यादा महिलाएं भी उसी की तरह हो गई है। मेरे पति ने मुझे कितने बार गवार कहा और उस शब्दों के टीस ने ने मुझे मजबूत और तेज बना दिया।
वैसे मै पत्थर गांव कि सीधी सादी लड़की एक सयुंक्त परिवार की जहाँ बहनों का प्यार वह दुलार हमेशा रहा हम पांच बहने दो भाई खुद में एकता की मिसाल थे मेरी शादी शहर में हुई जहां की सोच व तौर तरीके गांव से काफी अलग थे। हां मैं काम कर के घर वालों को हमेशा खुश रखती थी मगर जीवन में कहीं कही चालाकी दुनियादारी भी आनी जरूरी है जो मुझे नहीं आती थी पहले.
धीरे धीरे मुझे शहर का रंग लगा और मैं भी कुछ तौर-तरीके सीखने लगी मेरे सास हमेशा मेरी तारीफ करती थी रिश्तेदार से, मैं आज कि लडकियों की तरह नाजुक नहीं थी ना ही मशीनों से काम करती थी 1 घंटे में न जाने में कितने बालटी कपड़े धो देती , खाना भी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह फास्ट बनाती बडो को खुश कर देती थी। हां मगर संयुक्त परिवार में अक्सर तू तू मैं मैं होती रहती थी पति बड़े कड़क स्वभाव के थे मगर नारियल की तरह अक्सर मुझे गवार कहते थे मैं शहर की औरतों की तरह चाल चलना नहीं था मेरा धीरे धीरे कुछ बदलाव स्वीकार कर रही थी मगर रंग रूप तो सामान्य ही था मॉडल लड़कियों की तरह लटके झटके आज भी कहां आते है।.
वैसे शहर में सब है मगर समय और समझ नहीं क्या खाएं कितना खाएं क्या पीना है क्या नहीं, हर वक्त मैं कहती तो पति को चिढ़ लगती थी उनका पीना शौक से कब आदत बदल गया मुझे मालूम ही नहीं चला क्योंकि मैं दो बच्चों की मां दिन भर घर के काम बच्चों की पढ़ाई में ही लगी रहती थी जब बच्चों को स्कूल छोड़ने जाती तो एक बच्चे की मम्मी कार में उसे छोड़ने आती थी मुझे उसे देखकर गर्व होता था और लगता था काश मुझे भी गाड़ी चलाने आती मैंने अपने पति को कहा तो उन्होंने कहा कोई बड़ी बात नहीं, मैं सिखा दूंगा, मैं खुशी हो गई मगर मन में एक डर था मुझे विश्वास ही नहीं होता कि मैं गाड़ी सीख पाऊंगी लेकिन मेरे पति मुझे छुट्टी के दिन सिखा पाते थे मैं हमेशा छुट्टी का इंतजार करती थी और कहा करती थी कि भगवान छुट्टी के दिन कोई घर पर ना आए नहीं कोई ऐसा काम है जिसके कारण गाड़ी ना सीख पाऊं।
शुरू में कई गलतियां की और अक्सर गुस्से में पति कहते थे तुम गवार हो वैसे मुझे टू व्हीलर भी नहीं चलाने आती थी तो फोरव्हीलर चलाने के लिए मुझे हिम्मत की जरूरत थी। तुम्हारे हाथ में स्टेरिंग नहीं बेलन ठीक है मजाक में कह गए रे , मुझे बहुत चुभते थे ।एक लंबे समय के बाद मैं गाडी चलाना सिखा कभी कभी अकेले लेकर जाती तो फस जाती किसी से मदद मांगी मेरी गाडी बेक कर दो । ठोकती तो कोई हंसता तो कोई आंखें दिखाता मगर मेरी हिम्मत रंग लाई आंखिर में सीख गई ।आज कई लोगों को कई महिलाओं लड़कियों को गाड़ी सिखाती हूं ।मुझे लगता है मैं महिलाओं को सुरक्षा भी देती हूं अगर कोई लड़का सिखाए तो हो सकता है छेड़छाड़ करें और महिलाएं डर के मारे विरोध ना करें या गाड़ी सीखने से रह जाए इसलिए विरोध ना करें । वैसे मेरी आवाज इतनी तेज है कि लोग मेरी आवाज से ही डर जाते हैं और कई बार मेरे कार सीखने वाले बच्चों की गलतियां होते हुए भी मैं ऐसी तेज चिलाती हूं कि कोई पलट कर जवाब नहीं देता।
मेरा हमसफ़र नहीं एक लंबी बीमारी के चलते नहीं रहे, हमने बहुत कोशिश की उन्हें बचाने की बहुत सेवा की मगर नहीं बचा सके दिवाली के दिन ही काली अमावस्या में गुम गए। कितने पतझर सावन साथ बिताए कुछ यादों के सहारे जी लेती हूं इनके बिना, कई खत है इनक मेरे पास बढ़कर तसल्ली होती है कोई जीवन में इतना प्यार भी मुझसे करता था शेरो शायरी का बहुत शौक था, हमें बड़े अच्छे शब्दों का उपयोग करके खत लिखते या यूं कहो दोस्तों से लिखवा ते थे । मगर आजकल मोबाइल ने प्यार व अपनेपन को भी तो कम कर दिया है, अब खत का जमाना नहीं मगर वो प्यारी यादें हमेशा मेरे साथ है जिसे डिलीट नहीं कर सकती।अब बच्चे बड़े हो गए उनकी अपनी दुनिया।
आज मेरी जीविका, मेरा शौक, मेरा हूनर कार सिखाना है । कई लड़कियों को सिखा चुकी हूंजो बाहर बड़े शहर में चला रही है। बहुत खुशी होती है उनसे मिलकर, कुछ चलाना भूल गए हैं । और कुछ दुबारा सीखती हैं । कुछ सीखने के बाद पार्टी देती है मिठाइयां खिलाती है, तो कुछ डर के मारे नहीं चलाती मुझे कई बार कई समाज व संस्थाओं की तरफ से सरकार की तरफ से सम्मानित किया गया है। मैं पत्थर गांव की चट्टानों की मजबूत हूं । आज मेरे ऊपर हंसने वाले ने खुद ही अपनी बेटी बहू को मेरे पास सिखाने भेजते हैं, मेरे बहने व परिवार का गर्व करते हैं एक छोटे से गांव की शहर की पहली कार सिखाने वाली ट्रेन बनी। इसलिए पंद्रह सालों से कईयों को गर्व महसूस करा रही हूँ
महिलाओं को कार चलाते देख तो उन्हें थोड़ा सम्मान की नजर से देखा जाता है, मैंने जीवन में कई संघर्ष की और आज भी कर रही हूं छोटी छोटी परेशानियां आए दिन रहती है, यही जीवन है मगर ने चुप रहकर विश्वास के साथ सुलझा लेती हूं, कुछ लोग अमीर होते हुए भी दिल से गरीब होते हैं और कुछ गरीब होते हुए भी समझदार और ईमानदार कुछ लोग मेरे पैसे खा जाते हैं और कुछ एडवांस ही दे जाते हैं।
माता रानी का दिया सब कुछ है, आज इस नवमी पूजा में गर्व कर रही हूं और शक्ति अपने अंदर महसूस कर रही हूं । मां हर महिला के अंदर विश्वास, शक्ति देती है कि हम जीवन में हर चीज हासिल कर ले जिसे चाहते हैं कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे पास ढेरों डिग्री है या पैसे हैं कि नहीं। फर्क तो सिर्फ विश्वास और अपनी शक्ति को पहचानने का है। मैंने अपनी असीम शक्ति को पहचाना क्या आप पहचानते हैं ?