खुदा और मोहब्बत
खुदा और मोहब्बत
और फिर एक दिन,
वो नसीब लिखने वाले से ख्वाब में मुलाकात हुई|
बेसहारा दिल उसकी रौशनी से चमक उठा, और बोला,
'मुझे मेरी मोहब्बत वापस कब मिलेगी ?'
हँसकर वो खुदा कहता,
'जिस दिन आसमां पर चाँद फलक पर होगा और घने बादलो का अंधेरा हर तरफ होगा, उस दिन तेरी मोहब्बत लौट आएगी|'
नम आँखों के साथ, बदनसीब दिल अपनी तन्हाइयों में समा गया| अब वही उसकी दुनिया थी और वही उसकी मोहब्बत !