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Yogesh Suhagwati Goyal

Drama

5.0  

Yogesh Suhagwati Goyal

Drama

कोलोनी की डॉन आंटी

कोलोनी की डॉन आंटी

4 mins
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पटेल नगर वड़ोदरा (गुजरात) – जी हाँ इस कहानी के सभी किरदारों का यही पता है। समीर और रितु की शादी को एक साल हो गया था, मगर लगता ऐसे था जैसे कल ही हुई है। हर वक़्त दोनों एक दूसरे में या फिर अपने काम में खोये रहते थे, पेशे से दोनों डाक्टर थे। समीर एक बड़े निजी और रितु एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत थी। दोनों ही सूरत के रहने वाले थे और यहाँ २-३ महीने पहले ही आये थे | यहीं इसी कोलोनी में एक किराये के घर में रहते थे। देखने भालने में सुन्दर रितु एक मृदुभाषी, मगर आधुनिक, दबंग और आज़ाद ख़याल लड़की थी। समीर और रितु, दोनों की ही, पड़ोसियों से कभी कभी राधे कृष्ण ज़रूर होती थी लेकिन बहुत ज्यादा मेल मिलाप नहीं था। दोनों ही अपने काम से काम रखते थे, दोनों को टेनिस खेलना बहुत अच्छा लगता था। छुट्टी के दिन दोनों घूमने या फिर खेलने निकल जाते थे। जब कभी रितु जीन्स और टी शर्ट पहन कोलोनी से पैदल गुजरती, तो कोलोनी की डॉन आंटी के मुखारविंद से डा. रितु की शान में कुछ कसीदे अवश्य पढ़े जाते। रितु का बेफिक्र अंदाज़ और उसका आधुनिक पहनावा, डॉन आंटी को बहुत खटकता था |

समीर और रितु के पड़ोस में चोपड़ा परिवार रहता था, स्व. श्रीमती शालिनी चोपड़ा के घर में उनके दो लड़के गिर्राज और प्रशांत, गिर्राज की पत्नी रागिनी और प्रशांत की पत्नी मधु रहते थे। गिर्राज के एक लड़का था जिसकी शादी हो चुकी थी, वो अपनी पत्नी के साथ सिंगापुर में बस गया था। प्रशांत के दो लड़कियाँ थी, दोनों की शादी हो चुकी थी और अपने २ परिवारों के साथ खुश थी। श्रीमती शालिनी चोपड़ा एक बहुत ही तेज़तर्रार, दबंग मगर समझदार महिला थी। पूरा घर ही नहीं, सारी कोलोनी उनका कहना मानती थी। गिर्राज देखने में तो बिल्कुल आम आदमी जैसा ही लगता था लेकिन दिमाग से पिछड़ा था, इसके बावजूद भी रागिनी ने उसे अपना लिया था। इसी के चलते, परिवार के दूसरे सदस्यों के मुकाबले, श्रीमती शालिनी चोपड़ा के द्वारा, रागिनी का हमेशा ज्यादा ध्यान रखा जाता था।

धीरे धीरे रागिनी को भी इस ध्यान की आदत पड़ गई थी, कुछ हद तक रागिनी का दिमाग सातवें आसमान पर रहने लगा था। श्रीमती शालिनी चोपड़ा के जिंदा रहते तो वो अपनी ज्यादा नहीं चला पायी, लेकिन उनके स्वर्गवास होने के बाद रागिनी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। सबसे पहले तो वो घर में ही अपनी देवरानी मधु की सास बन बैठी, फिर उन्होंने अपने घर में कुछ ख़ास महिला मित्रों संग चौपाल लगाना शुरू कर दिया। अगर उनके ख़ास किसी कारणवश नहीं आ पाते, तो वो स्वयं उनके घर चली जाती। किट्टी पार्टी के नाम पर २-३ ग्रुप और बना लिये, भक्ति कार्यक्रमों के लिये भी एक ग्रुप खड़ा कर दिया।

किट्टी पार्टी और चौपाल तो मात्र एक बहाना था।

असल मकसद तो जानकारी की पिपासा मिटाना था।

कोलोनी के ज्यादातर घरों में चाहे कैसा भी कार्यक्रम हो, उनकी उपस्थिति और मार्गदर्शन आवश्यक था। धीरे धीरे श्रीमती रागिनी चोपडा कोलोनी की डॉन आंटी बन बैठी थी। उनकी अवमानना का मतलब था, अपने दामन पर उनके कोप के कुछ छीटें लगवा लेना। कोलोनी के हर बुजुर्ग और युवा, चाहे स्त्री हो या पुरुष, उसको चरित्र प्रमाण पत्र देना उनके अधिकार क्षेत्र में आता था।

एक दिन रात का वक़्त था, श्रीमती रागिनी चोपड़ा को बिस्तर पर लेटे एक घंटा हो गया था लेकिन नींद नहीं आ रही थी। दोपहर से ही सीने में हल्का दर्द था जो अब काफी बढ़ गया था और सहन नहीं हो रहा था। उन्होंने मधु को अपनी समस्या बताई और मधु ने प्रशांत को। ऐसी स्थिति में प्रशांत ने डा. रितु से सम्पर्क करना बेहतर समझा, रितु ने फोन पर ही समस्या के बारे में जानकारी ले ली और पांच मिनिट में रागिनी जी को देखने उनके घर पहुँच गई। जांच पड़ताल कर, अपने साथ लायी हुई दवाइयों में से कुछ गोलियां दे दी, साथ ही जब तक रागिनी जी को कुछ आराम नहीं मिल गया, १५-२० मिनिट तक वहीं बैठी रही। उसके बाद प्रशांत और मधु को कुछ हिदायतें देकर अपने घर वापिस लौट गई।

अगले दिन सुबह ७ बजे डा. रितु रागिनी जी को देखने फिर पहुँच गई। रात को रागिनी जी को गैस की समस्या हुई थी जो अब काफी हद तक नियंत्रण में थी। सब ठीक ठाक देख, रितु वापिस अपने घर आ गई और अपने दूसरे कामों में लग गई। होने को तो ये एक बहुत ही मामूली घटना थी लेकिन इस घटना ने रितु के प्रति श्रीमती रागिनी चोपड़ा का नज़रिया बिलकुल बदल दिया था। कोलोनी के हर स्त्री पुरुष को चरित्र प्रमाण पत्र प्रदान करना आज भी श्रीमती रागिनी चोपड़ा के अधिकार क्षेत्र में था। लेकिन डा. रितु का बेफिक्र अंदाज़ और उसकी जीन्स और टीशर्ट का पहनावा, डॉन आंटी को अब नहीं खटकता था।


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