यशी थकती नहीं है
यशी थकती नहीं है
यशी थकती नहीं है, मालूम नहीं कैसे, हर समय भागना दौड़ना, लोगों की मदद करना।
यशी थकती नहीं है, मालूम नहीं कैसे लोगों की मदद के लिये भागती है, दौड़ती है, बस किसी तरह लोगों का भला हो, आज दिख नहीं रही है।
चलूँ आज कहँ यशी छुपी है, अरे यह क्या, यह तो बुखार में पडी है, तप रही है, किसी को अपने लिये कहना नहीं आता है।
अरे पगली को यह समझ में नहीं आता कि तेरी जरूरत है समाज को, माँ गंगा को, फिर तुझे उठना होगा, चलना होगा समाज के लिये।
जाऊँ डॉक्टर को बुला लाऊँ। बस आप लोग शिव से अरदास करे, कि वह ठीक हो जाये।