परिवेश
परिवेश
नए साल का जश्न चल रहा है शहर के बड़े होटल में। लोग मस्ती में झूमते हुए नाच गा रहे हैं ,ठंड अपने पूरे शबाब पर है। बहुत ही अजीब लग रहा है निकिता को वह आज पहली बार इस तरह के जश्न में शामिल होने अपनी सहेली रीमा के साथ आई है यहाँ का माहौल उसके शहर के माहौल से बिल्कुल भिन्न है।
वह बहुत छोटे शहर से आई है दिल्ली पढ़ने। आज न्यू ईयर की पार्टी मनाने उसकी सहेली उसे भी साथ खिंच लाई पर यह परिवेश बिल्कुल ही अलग है उसे लगा बहुत बड़ी गलती कर दी उसने रीमा के साथ आकर।
अर्धनग्न हालत या यूं कहिये बहुत कम कपड़ों में नाचते गाते लोग, ठंड बहुत है पर फैशन के कारण गर्म कपड़े किसी ने अपने बदन पर डाले ही नहीं। बहुत कोफ्त हो रही है उसे अपने आप पर। क्यूँ आ गई वह रीमा के साथ।
वह होटल से बाहर आ जाती है अपनी घुटन से बचने।
यहाँ का नज़ारा दूसरा, ठंड से यहाँ भी ठिठुरते लोग कुछ बच्चे, वृद्ध बदन पर नाममात्र को कपड़े। उफ्फ कैसा है ये परिवेश एक वर्ग को फैशन ने मारा है और दूसरा मज़बूर गरीबी से। नए साल का सेलिब्रेशन जोरों पर है।